रीवा

दावा दो सौ गौशाला निर्माण का लेकिन संचालन केवल 29 का हो रहा

– प्रदेश सरकार की महत्वाकांछी योजना पर लगता जा रहा ग्रहण, पंचायतों में जमकर भ्रष्टाचार- खेतों और सड़कों पर आवारा मवेशियों से नहीं मिली निजात

रीवाJan 22, 2022 / 11:52 am

Mrigendra Singh

number of gaushala in rewa dist, cm gausewa yojna


रीवा। प्रदेश सरकार की महत्वाकांछी गौशाला निर्माण योजना की हकीकत दावों के विपरीत है। जिले में करीब दो सौ से अधिक संख्या में गौशालाओं के निर्माण पूरा होकर शुरुआत करने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन वस्तु स्थिति इसके विपरीत है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में प्रशासन ने यह स्वीकार किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 29 गौशालाएं संचालित की जा रही हैं। जिन्हें मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के तहत राशि भी आवंटित की जा रही है। यहां पर रखे जाने वाले गौवंश को 20 रुपए प्रतिदिन की दर से भूसा-चारा खिलाने के नाम पर राशि का आवंटन किया जा रहा है।
जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं की संख्या पर्याप्त नहीं होने की वजह से हजारों की संख्या में खुले में मवेशी घूम रहे हैं। यह किसानों की फसलें नष्ट कर रहे हैं। अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान इन्हें भगाते हैं और कई जगह से पशुक्रूरता की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
जिले भर से किसान यह मांग भी उठा रहे हैं कि गौशालाओं की व्यवस्था बेहतर कर हर गांव में स्थापित की जाए ताकि फसलों को बचाया जा सके। हाल के दिनों में पशु क्रूरता की कई घटनाएं सामने आने के बाद कलेक्टर ने सभी जनपदों के सीइओ को निर्देशित किया है कि गौशालाओं की व्यवस्थाएं दुरुस्थ की जाएं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने भी अधूरी गौशालाओं का निर्माण तत्काल पूरा कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद भी गौशालाएं अधूरी पड़ी हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राघवेन्द्र दुबे ने आरटीआई के जरिए जानकारी निकाली, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन झूठे आंकड़े जनता के सामने पेश कर रहा है।

2252 मवेशी ही गौशालाओं में रखे गए
मुख्यमंत्री गौसेवा योजना के तहत बनाई गई गौशालाओं में 2252 मवेशियों को रखे जाने की बात कही गई है। इन मवेशियों की देखरेख करने वाले गौशाला संचालन समितियों को 20 रुपए प्रति मवेशी प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जा रहा है। इस राशि के बदले भूसा, चारा, पानी आदि की व्यवस्था करनी होती है। हर महीने 13.52 लाख रुपए से अधिक का भुगतान किया जा रहा है। गौशालाओं में मवेशियों की संख्या बढ़ती-घटती रहती है, इसलिए राशि भुगतान में भी हर महीने बदलाव होता है।

फसल बचाने बाड़ों में कैद कर मवेशियों को


गांवों में इनदिनों फसलों को आवारा मवेशियों से बचाना बड़ी चुनौती है। दिन-रात किसान खेतों में रखवाली कर रहे हैं। ऐसे में फसल नष्ट कर रहे मवेशियों को गांवों में ही बाड़े बनाकर रखा जा रहा है। इन स्थानों पर खाने-पीने के कोई इंतजाम नहीं होने और खुले आसमान के नीचे रहने की वजह से वहीं पर यह मवेशी मर भी रहे हैं। हाल ही में कई शिकायतें इस तरह की अलग-अलग हिस्सों से सामने आई हैं।

इन स्थानों पर चल रही गौसेवा योजना की गौशालाएं
रीवा- टीकर-1, बांसी।
जवा–जनकहाई, घूमन, गेदुरहा।
रायपुर कर्चुलियान– जरहा, बक्छेरा, चोरगड़ी।
मऊगंज–सीतापुर, भाटीसेंगर, रकरी, बेलहाई खुर्द।
हनुमना–नाउन खुर्द, बलभद्रगढ़, सलैया खास, पांती मिश्रान।
नईगढ़ी– पैकन गांव, कोट, शिवराजपुर।
सिरमौर– पडऱी-1, पडऱी-2, दुलहरा, भमरा।
त्योंथर–सोहागी, शंकरपुर, सोनौरी, चंद्रपुर।
गंगेव–बांस, हिनौती।
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गौ अभयारण्य में भी सभी को जगह नहीं मिल रही
सरकार ने रीवा में बसामन मामा के नाम पर बड़ा गौ अभयारण्य बनाया है। जिसमें बड़ी रकम भी खर्च हुई है और यहां पर रहने वाले मवेशियों के लिए भी हर माह राशि जारी हो रही है। इसके बावजूद आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में मवेशी किसानों की फसलें नष्ट कर रहे हैं। यहां पर मवेशी लेकर किसान जाते हैं तो स्वीकार ही नहीं किया जाता। इतना ही नहीं नगर निगम ने रीवा शहर में मवेशियों को पकड़कर वहां पहुंचाने का प्रयास किया तो अभयारण्य में काम करने वाले लोगों ने कर्मचारियों के साथ मारपीट कर भगा दिया। इसी तरह रीवा शहर में लक्ष्मणबाग गौशाला लंबे समय से चल रही है। इसे भी शासन की ओर से अनुदान दिया जा रहा है लेकिन शहर में आवारा मवेशियों को यहां पहुंचाने के बाद छोड़ दिया जाता है। गौशाला संचालकों का कहना है कि पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से सभी मवेशियों को स्वीकार नहीं कर सकते।
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