जेल के अंदर रह रहे छह बच्चे पहली बार बाहर निकलकर नर्सरी में पहुंचे तो इनकी मां की आंखों से आंसू छलक आए। नर्सरी में अब इन बच्चों को रोजाना शिक्षा मिल सकेगी। लंबे समय से यह बच्चे जेल के अंदर बंद है। पहलीबार यह बच्चे जेल की दीवारो से बाहर निकले।
जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया सेंट्रल जेल में बंद महिला बंदियों को छह साल तक अपने साथ बच्चे रखने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंदियों के बच्चों के लिए भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेलकूद सुविधाओं का अधिकार दिया है। इसी के परिपालन में जेल के बाहर नर्सरी केंद्र प्रांरभ किया गया है। बच्चों के लिए प्रशासनिक भवन में झूलाघर भी प्रारंभ किया गया है।
जेल के अंदर बच्चों को नर्सरी व झूलाघर खोलने को लेकर सेंट्रल जेल के प्रस्ताव पर महिला सशक्तिकरण कार्यालय ने भी नर्सरी शुरू करने में सहायता की। इस अवसर पर वरिष्ठ कल्याण अधिकारी डीके सागस, जेलर मो. इसरार मौजूद रहे।
बच्चों ने की खूब मस्ती
वर्तमान में सेंट्रल जेल में 61 महिला बंदी हैं। इनमें से 6 वर्ष से कम के 8 बच्चे जेल के अंदर है। जेल से बाहर निकलकर प्रतिज्ञा, सालिनी, प्रकाश, बाबू, सीमा, प्रीति ने खूब मस्ती की। बच्चों ने झूला झूला और खिलौनों के साथ खेल-खेल में पढ़ाई भी की। अब रोज अन बच्चों को एक घंटे नर्सरी में रखा जाएगा। इनकी देखरेख के लिए महिला प्रहरी तैनात रहेंगी।
जेल में रह रहे 5 बच्चों में से एक बच्ची स्कूल जाती है। महिला बंदी चमेली केवट की बेटी प्रीति की उम्र 5 साल है। पिछले साल एक निजी स्कूल में बच्ची का एडमिशन कराया गया। बच्ची की पूरी फीस निजी स्कूल वहन कर रही है। वहीं आने-जाने के लिए जेल प्रबंधन ने व्यवस्था की है। बच्ची रोज स्कूल जाती है।