युवा हैं इस बीमारी की गिरफ्त में, जानिए क्या हैं कारण
सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में हाइपरटेंशन के मरीजों की दो से तीन गुना वृद्धि

रीवा। भले ही सरकार आनंद विभाग खोल कर आनंद की अनुभूति कर रही हो लेकिन बढ़ती बेरोजगारी और गरीबी युवाओं में हाइपरटेंशन बढ़ा रहा है। विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल में हाइपरटेंशन के बढ़ते केस इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।
संजय गांधी अस्पताल में एक जनवरी से १५ मई तक कुल 913 केस हाइपरटेंशन के आ चुके हैं। यह आंकड़ा बीते वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है। हैरानी की बात ये है कि हाइपरटेंशन से एक तिहाई युवा ग्रस्त हैं। जिनकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है। मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज इंदुलकर ने बताया कि 18 प्रतिशत युवाओं में तनाव युक्त जिंदगी से उच्च रक्तचाप हो रहा है जबकि 80 प्रतिशत केस में वजह का सही आंकलन नहीं हो पाता है। संजय गांधी अस्पताल में बीते पांच महीने का ग्राफ देखा जाए तो हाइपरटेंशन के केस बड़ी संख्या में आ रहे हैं। जनवरी में 228, फरवरी में 174, मार्च में 213, अपै्रल में 198 और मई में 93 मरीज भर्ती हुए हैं।
ये है वजह
मरीजों की हिस्ट्री से ज्ञात होता है कि युवाओं में हाइपरटेंशन की वजह असुरक्षित नौकरियां, बढ़ती बेरोजगारी, लगातार प्रयास के बावजूद असफलता, नशे की लत और गरीबी है जबकि मोटापा, कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि, दवाइयों का अत्यधिक सेवन, भूख बढ़ाने की दवाइयों का सेवन भी हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप की वजह है। डॉ. इंदुलकर ने कहा कि युवाओं में अचानक यह समस्या उत्पन्न हो रही है। जब उन्हें झटके आने लगते हैं तब वह बीमारी के बारे में जान पाते हैं। ऐसी स्थिति में जिंदगी भर इलाज चलता है। उन्होंने कहा कि वजन घटाने से 6 मिमी. ब्लड प्रेशर कम हो जाता है लेकिन तनाव कम करने के लिए योगा और व्यायाम करना फायदेमंद होगा।
काम का बोझ बड़ी समस्या
प्राइवेट सेक्टर हो या सरकारी, दो कर्मचारियों का काम एक कर्मचारी कर रहा है। उसके ऊपर अतिरिक्त काम का बोझ है जिससे तनाव बढ़ता है और ब्लड प्रेशर की समस्या बन जाती है। डॉ. इंदुलकर ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट्स में उच्च रक्तचाप तेजी से बढ़ा है। इसकी मुख्य वजह मेडिकल स्टूडेंट्स पर पढ़ाई के साथ-साथ चिकित्सीय सेवा में समय अधिक देना है।
किडनी और लिवर डैमेज तक
प्राय: देखा जा रहा है कि हाइपरटेंशन की वजह से मरीज की किडनी और लिवर डैमेज हो रहे हैं। यह बीमारी साइलेंट किलर की तरह है। जो धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देती है। आंखों की रोशनी पर भी प्रभाव पड़ता है।
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