scriptउम्र बीस के पार, दिखते हैं बच्चों जैसे; खड़े होते ही आते हैं झटके | Over the age of twenty looks like children Whenever Standing Comes Out | Patrika News

उम्र बीस के पार, दिखते हैं बच्चों जैसे; खड़े होते ही आते हैं झटके

locationरीवाPublished: Oct 12, 2017 04:18:49 pm

Submitted by:

Dilip Patel

अजीब बीमारी की चपेट मेंं आदिवासी परिवार के तीन सदस्य…संजय गांधी अस्पताल में कराए गए भर्ती, मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने शुरू की रिसर्च

Over the age of twenty looks like children Whenever Standing Comes Out

Over the age of twenty looks like children Whenever Standing Comes Out

रीवा। उम्र की स्थिरता तो हर कोई चाहता है, लेकिन जवानी की उम्र में कद काठी बच्चों जैसी हो और चलना-फिरना भी बंद हो जाए तो यह दर्द वही समझ सकता है जिस पर बीत रही हो। बात सीधी जिले के आदिवासी परिवार के तीन सदस्यों की कर रहे हैं, जो एक अजीब बीमारी की गिरफ्त में हैं। तीनों को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां मेडिसिन विभाग के डॉक्टर बीमारी का पता लगाने में जुटे हैं।
मुर्तला गांव की आदिवासी प्रेमवती कोल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं। जिनमें से 21 वर्षीय रिंकू कोल, 18 वर्षीय रितू और 20 वर्षीय श्रीराम गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। मां प्रेमवती ने बताया कि जन्म से नौ साल की उम्र तक उसके तीनों बच्चे स्वस्थ थे। स्कूल पढऩे जाते थे, लेकिन पिछले १० साल से उम्र के हिसाब से इनका शारीरिक विकास नहीं हुआ। अब तो इन्हें आंखों से भी दिखाई नहीं देता है। न तो ये सही से बोल पाते हैं और न ही सुन पाते। खड़े होते हैं तो झटके आने लगते हैं। हाथ से भोजन करने में भी सक्षम नहीं हैं। अब तीनों विकलांग की जिदंगी जीने को मजबूर हैं।
न्यूरोलॉजी डिस आर्डर और ग्रोथ डिस आर्डर के लक्षण
संजय गांधी अस्पताल में भर्ती होने के बाद श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ. राकेश पटेल और डॉ. अनुराग चौरसिया इनका उपचार कर रहे हैं। डॉ. चौरसिया ने बताया कि लक्षणों के आधार पर इनमें न्यूरोलॉजी डिस आर्डर और ग्रोथ डिस आर्डर की समस्या दिख रही है। साथ ही जीन परिवर्तन के चलते भी ऐसी स्थिति बन सकती है। इसके लिए एमआरआई, सिटी स्कैन, सीबीसी और ईसीजी जांच बुधवार को करवाई गई है। रिपोर्ट आने पर बीमारी की सही जानकारी संभव हो सकेगी। अगर फिर भी दिक्कत हुई तो बड़े मेडिकल सेंटर की मदद लेंगे।
दस साल से जी रहे ये जिदंगी
तीनों बच्चों की १० साल से जिंदगी नर्क सी हो गई है। मां ने बताया कि सीधी के जिला अस्पताल के एक डॉक्टर का लंबे समय तक उपचार कराया। डॉक्टर ने बाहर ले जाने को कहा था, लेकिन दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है तीन बच्चों का उपचार कैसे कराते।
नहीं पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीमें
कहने को बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके जरिए नि:शुल्क उपचार के दावे किए जाते हैं लेकिन यह केस उदाहरण हैं कि इन तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें कभी नहीं पहुंची। यह बात दीगर है कि ये बच्चे सीधी के जिला अस्पताल इलाज के लिए जाते रहे।
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