संजय गांधी अस्पताल में भर्ती होने के बाद श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ. राकेश पटेल और डॉ. अनुराग चौरसिया इनका उपचार कर रहे हैं। डॉ. चौरसिया ने बताया कि लक्षणों के आधार पर इनमें न्यूरोलॉजी डिस आर्डर और ग्रोथ डिस आर्डर की समस्या दिख रही है। साथ ही जीन परिवर्तन के चलते भी ऐसी स्थिति बन सकती है। इसके लिए एमआरआई, सिटी स्कैन, सीबीसी और ईसीजी जांच बुधवार को करवाई गई है। रिपोर्ट आने पर बीमारी की सही जानकारी संभव हो सकेगी। अगर फिर भी दिक्कत हुई तो बड़े मेडिकल सेंटर की मदद लेंगे।
तीनों बच्चों की १० साल से जिंदगी नर्क सी हो गई है। मां ने बताया कि सीधी के जिला अस्पताल के एक डॉक्टर का लंबे समय तक उपचार कराया। डॉक्टर ने बाहर ले जाने को कहा था, लेकिन दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है तीन बच्चों का उपचार कैसे कराते।
कहने को बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके जरिए नि:शुल्क उपचार के दावे किए जाते हैं लेकिन यह केस उदाहरण हैं कि इन तक स्वास्थ्य विभाग की टीमें कभी नहीं पहुंची। यह बात दीगर है कि ये बच्चे सीधी के जिला अस्पताल इलाज के लिए जाते रहे।