दीपावली पर्व पर मां लक्ष्मी के साथ ही उल्लू की भी पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में उल्लू को समृद्धि और धन का प्रतिक माना जाता हैं। साथ ही जादू, टोने-टोटके में भी उल्लू के नाखून, पंख आदि का उपयोग किया जाता है। इस कार्य के लिए लोग उल्लू को पकड़ते हैं।
बताया गया है कि उल्लू रात में जागने वाला पक्षी है। इसके करीबन 200 प्रकार पाए जाते हैं। उल्लू के पंजे बहुत ही ताकतवर होते हैं जिसके कारण वे अपने शिकार को आसानी से पकड़ लेते हैं। सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पक्षी अपने सिर को लगभग 270 डिग्री तक घुमा सकता है।
उल्लू के सुनने की क्षमता बहुत ही अद्भुत होती है। वो अपने शिकार को पत्तों के, गंदगी के, पौधों के और बर्फ के नीचे से भी सुन सकता है। इसका कारण है उनके कान अलग-अलग आकार के होता है। उल्लू अलग-अलग प्रकार के आवाज निकालते हैं। उनमें से कुछ बहुत ही डरावने होते हैं।
चीन में उल्लू सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक है तो जापानियों की नजर में उल्लू उनकी मुसीबत में रक्षा करता है। भारत में उल्लू के हाव -भाव, बोली और उड़ान भरने की स्थिति से भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं का पता लगाया जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में उल्लू का महत्व
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार उल्लू राहु के घर का प्रतिनिधित्वि करता है तथा कुंडली में इसका सुनिश्चित घर छठा स्थान का है। हालांकि इसका तीसरे, छठे और आठवें घर में होना शुभ माना गया है। इसलिए उल्लू की महत्वता मनुष्य के जीवन में हमेशा रहती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार उल्लू राहु के घर का प्रतिनिधित्वि करता है तथा कुंडली में इसका सुनिश्चित घर छठा स्थान का है। हालांकि इसका तीसरे, छठे और आठवें घर में होना शुभ माना गया है। इसलिए उल्लू की महत्वता मनुष्य के जीवन में हमेशा रहती है।