पत्रिका समूह की ओर से पूरे देश में शुरू किए गए इस अभियान के तहत यहां रीवा में जल व जल स्रोतों के संरक्षण की शुरुआत हुई। महज एक दर्जन लोगों से सुबह छह बजे हुई शुरुआत। सैकड़ों में पहुंच गई। धीरे-धीरे लोग आते गए और जनसमुदाय बढ़ता गया। कुंड की सफाई में सभी के एक साथ लगने से महज चंद घंटों में न केवल कुंड की सारी गंदगी निकल गई। बल्कि आस-पास का पूरा परिसर भी साफ हो गया। श्रमदान का सिलसिला सुबह छह बजे से शुरू होकर नौ बजे तक चला।
अभियान के तहत पहले दिन जिस कुंड की सफाई की गई। वह न केवल वर्षों पुराना है। बल्कि उसका अपना विशेष महत्व भी है। राजा-महाराजाओं के जमाने का यह कुंड व्यवस्थित तो किया गया। लेकिन साफ-सफाई के अभाव में उपेक्षित होकर रह गया है। पूर्व में कुंड का ही जल लक्ष्मण बाग मंदिर के भगवान को चढ़ाया जाता रहा है। लोग इस जल का आचमन किया करते थे। लेकिन वर्षों से उपेक्षा के चलते वहां का जल दूषित हो गया है।
पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के तहत शुरू हुए इस कार्य के पहले दिन जन सामान्य से लेकर अधिकारी व जनप्रतिनिधि सभी शामिल हुए। जनसामान्य में बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग सभी ने मिलकर श्रमदान करते हुए नदी व कुंड की सफाई में अपना योगदान दिया। पत्रिका की टीम भी उनके साथ लगी रही। सभी ने इस मौके पर संकल्प लिया कि वह प्रति सप्ताह नदी व आस-पास के परिसर की सफाई के लिए समय निकालेंगे। साथ ही घर से लेकर बाहर तक जल संरक्षण को महत्व देंगे और दूसरों को जागरूक करेंगे।