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राजस्व न्यायालयों में 63 हजार नामांतरण-बंटवारा के प्रकरणों का निराकरण नहीं कर पाए पीठासीन अधिकारी

locationरीवाPublished: Dec 27, 2018 01:22:41 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

रीवा, सतना और सीधी के जिले के नवागत कलेक्टरों के लिए राजस्व प्रकरणों का निराकरण चुनौती, राजस्व वर्ष बीतने के बावजूद कोर्ट में धूल खा रहे 80 फीसदी प्रकरण

Pending cases of nomination, division and demarcation in revenue court

Pending cases of nomination, division and demarcation in revenue court

रीवा. संभाग के राजस्व न्यायालयों में 63 हजार से अधिक नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के प्रकरण लंबित पड़े हैं। राजस्व वर्ष बीतने के बाद भी पीठासीन अधिकारी महज बीस फीसदी प्रकरणों ही निराकरण कर सके। राजस्व न्यायालों में नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के 80 फीसदी राजस्व प्रकरणों का निराकरण में अफसरों का पसीना छूट रहा है। रीवा, सतना और सीधी जिले के नवागत कलेक्टरों के लिए लंबित प्रकरणों का समय से निराकरण और जनता को न्याय दिलाना चुनौती होगी।
पक्षकारों के काम नहीं आ रहा आरसीएमएस
राजस्व न्यायालयों में सरकार की नई व्यवस्था रेवन्यू केस मनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) भी पक्षकारों के लिए काम नहीं आयी। राजस्व न्यायालयों में समय से प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो रही है। न्यायालयों में सामान्य पेशी दी जा रही है। संभाग के ज्यादातर तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर बेसिक कार्य को छोड़ अन्य कार्य में व्यस्त रहते हैं। चुनाव प्रक्रिया को छोड़ दे तो राजस्व साल में 16358 प्रकरणों का निराकरण नहीं कर सके।
मुख्य सचिव ने चलाया था विशेष अभियान
मुख्य सचिव बीपी सिंह ने राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए आरसीएमएस की नई व्यवस्था के तहत विशेष अभियान चलाए। बावजूद इसके प्रकरणों का समय से निराकरण नहीं हो रहा है। राजस्व वर्ष 2017.18 में विशेष अभियान के दौरान अधिकारी 50 हजार से अधिक प्रकरणों के निराकरण का दावा कर रहे हैं। तब 1.84 लाख से अधिक प्रकरण लंबित थे। राजस्व वर्ष 2018.19 में संभाग स्तर पर 80 हजार से अध्ािक प्रकरण आरसीएमएस पर दर्ज रहे। जिसमें बीस फीसदी प्रकरणों का ही निराकरण सक पाए। नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के प्रकरणों का समय से निराकरण नहीं होने के चलते जमीनी विवाद बढ़ रहे हैं। सरकारी गैर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के भी प्रकरण बढ़े हैं। जबकि नियम है कि अधिकतम 45 दिन के भीतर विवादित प्रकरणों का निराकरण करना है।
रीवा-सतना में सबसे अधिक राजस्व प्रकरण
चालू राजस्व वित्तीय वर्ष के पहले माह यानी अक्टूबर में सबसे ज्यादा प्रकरण सतना में 3665 प्रकरण राजस्व कोर्ट में दर्ज किए गए हैं। जबकि रीवा में 3258, सीधी में 3136 और सिंगरौली में 2704 प्रकरण आरसीएमएस पर दर्ज किए गए हैं। कुल मिलाकर चालू वित्तीय राजस्व वर्ष के पहले माह में ही संभाग में करीब 13 हजार राजस्व प्रकरण पंजीकृत हुए हैं।
आरसीएमएस व्यवस्था भी बेमानी
पक्षकारों को समय से न्याय मिले, इस उद्देश्य को लेकर आरसीएमएस व्यवस्था शुरू की गई। इसके बावजूद भी प्रकरणों का निराकरण समय से नहीं हो रही है। पक्षकारों के लिए सरकार की नई व्यवस्था भी बेमानी है। उदाहरण के तौर पर सिंगरौली के देवसर निवासी सुखदेव आदिवासी एडिशनल कमिश्नर के न्यायालय में दो साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं। आरसीएएमएस व्यवस्था शुरू होने के बाद भी समय से न्याय नहीं मिल रहा है।
दो साल से लटके 20 हजार प्रकरण
संभाग में एक साल से लेकर दो साल तक बीस हजार प्रकरण लंबित हैं। सबसे ज्यादा प्रकरण 8031 रीवा जिले में हैं। नवागत कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव के लिए पुराने और नए राजस्व प्रकरणों का निराकरण चुनौती होगी। इसी तरह सतना जिले के नए कलेक्टर के लिए भी राजस्व प्रकरणों के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। दो साल से अधिक पुराने प्रकरण चार हजार से अधिक हैं। जबकि नए प्रकरणों की संख्या इससे चार गुना अधिक है। सीधी और सिंगरौली में भी पुराने तीन-तीन हजार से अधिक प्रकरण धूल खा रहे हैं।

गड्ड में बंधे बीस साल से अधिक पुराने प्रकरण
संभाग में बीस हजार से ज्यादा ऐसे प्रकरण बीस साल से अधिक के पुराने मामले अभी भी गडड् में बंधे हुए हैं। जिन पर धूल की परत जम रही है। आरसीएमस पर दर्ज नहीं किया जा रहा है। बाबुओं की मनमानी और राजस्व अधिकारियों की अनदेखी के चलते पुराने प्रकरणों को आरसीएमएस पर दर्ज नहीं किया जा रहा है। इस तरह के सबसे ज्यादा प्रकरण रीवा जिले में हैं। जिले की हुजूर, सिरमौर तहसील में ज्यादातर प्रकरण अभी भी आरसीएमएस पर दर्ज नहीं किए गए हैं।

एडिशनल न्यायालय के सामने खरार्टाभर रहा कर्मचारी
संभागायुक्त कार्यालय में एडिशनल कोर्ट में करीब 80 प्रकरणों की पेशी थी। बुधवार की सुबह सभी को सामान्य पेशी दे दी गई। दोपहर 1.20 बजे न्यायालय के सामने एक कर्मचार बेंच पर खरार्टाभर रहा था। तत्कालीन कमिश्नर महेशचंन्द्र चौधरी के स्थानांतरण के बाद बुधवार को प्रभारी कमिश्नर कार्यालय में भ्रमण पर आने वाले थे। पूछने पर कर्मचारी ने बताया कि मै पक्षकार नहीं हूं कर्मचारी हूं।

मैं कड़ाके की ठंड में सिंगरौली से आया हूं…
संभागायुक्त कार्यालय के एडिशनल कमिश्नर के न्यायालय में बुजुर्ग रामअधार रजिस्टर में पेशी की तारीख खोज रहा था। वकील के पूछने पर रामअधार भडक गए, बोले कड़ाके की ठंड में मैं सिंगरौली से आया हूं, यहां प्रकरण की सुनवाई के बजाए, पेशी पर पेशी दी जा रही है। वकील ने फरवरी में पेशी की जानकारी दी है, लेकिन, रजिस्टर में नाम नहीं मिल रहा है। सिंगरौली से आए बुजुर्ग रामआधार ने पत्रिका से बताया कि उसकी बेटी पार्वती रीवा के पुष्पराज नगर में ब्याही है। पति के निधन के बाद सास हिस्सा नहीं दे रही है। आठ माह तक प्रकरण हुजूर तहसील में चला। करीब एक साल से एडिशनल कमिश्नर के न्यायालय में चल रहा है। बार-बार पेशी दे दी जाती है।
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