चिंहित अपराधों में ऐसे बढ़ा सजा का प्रतिशत, जानिए आईजी का प्लान
आईजी ने चिंहित अपराधों में सजा का प्रतिशत बढ़ाने सभी थाना प्रभारियों को दिये निर्देश

रीवा। चिंंहित अपराधों में सजा का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पुलिस अधिकारियों ने कवायद शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी खुद चिंहित मामलों की विवेचना और सुनवाई पर नजर रखे हुए है ताकि कोई भी आरोपी विवेचना में कमी का फायदा उठाकर न्यायालय से बरी न होने पाए।
आईजी ने सभी थान प्रभारियों को दिये निर्देश
चिंहित अपराधों को लेकर आईजी उमेश जोगा ने चारों जिलों के थाना प्रभारियों को सख्त लहजे में निर्देश दिये है। जो भी घटनाएं चिंहित अपराधों में शामिल है उनकी विवेचना समय पर पूरी कर शासकीय अधिवक्ताओं के माध्यम से चालान न्यायालय में प्रस्तुत करें। ऐसे मामलों में आरोपियों की भी तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित कराए। दरअसल संभाग के चारों जिलों में चिंहित अपराधों में शामिल मामलों आरोपी बरी हो जाते थे।
चालीस फीसदी था सजा का प्रतिशत
इन मामलों में सजा का प्रतिशत चालीस से पचास प्रतिशत के बीच ही थी। बैठक में आईजी ने इन अपराधों की समीक्षा की और सजा का प्रतिशत बढ़ाने के लिए सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिये। जिन चिंहित मामलों में आरोपी बरी होंगे उनकी अलग-अलग समीक्षा की जायेगी और यदि विवेचना में लापरवाही की वजह से कोई आरोपी बरी हुआ तो संबंधित विवेचक व थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। आइजी के निर्देश के बाद सभी थाना प्रभारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
चिंहित अपराधों में न्यायालय से सजा पडऩे तक नजर रखती है पुलिस
जिन घटनाओं को चिंहित अपराधों में शामिल कर लिया जाता है उनमें मामला दर्ज होने के बाद से न्यायालय से निर्णय होने तक पुलिस नजर रखती है। इन मामलों में आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास करती है। गवाहों के धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाए जाते है ताकि वे न्यायालय में मुकर न जाए। इन मामलों के गवाहों व पीडि़त को आरोपी धमकाकर प्रभावित न कर सके। इसके साथ ही दुबारा इस घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाते है।
40 से 80 प्रतिशत तक पहुंचा सजा का प्रतिशत
चिंहित अपराधों को लेकर अधिकारियों द्वारा बरती जा रही सख्ती के कारण अब इन मामलों में सजा का प्रतिशत भी बढ़ा है। अभी तक सजा का प्रतिशत 40 से 50 फीसदी के बीच रहता था लेकि अब यह बढ़कर 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। पिछले तीन माह में हुए अधिकांश फैसलों में न्यायालय ने आरोपियों को सजा सुनाई है। अधिकारी इसे बढ़ाकर पूरे सौ प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रयास कर रहे है।
प्रत्येक मामले की हो रही समीक्षा
चिंहित अपराधों में सजा का प्रतिशत बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। 40 से बढ़कर सजा का प्रतिशत 80 फीसदी तक पहुंच गया है। जिन मामलों में आरोपी बरी हो रहे है उनकी समीक्षा कर कारणों का पता लगाया जा रहा है। विवेचना पर सतर्कता बरतने और समय पर गवाही पूरी करवाकर आरोपियों को सजा दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
उमेश जोगा, आईजी रीवा
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