क्योंटी– यह प्राकृतिक एवं पुरातात्विक महत्व का स्थल है। यहां पर वाटरफाल, किला, घाटी, भैरव मंदिर आदि देखने आते हैं। यहां पर पुरातत्व विभाग ने कुछ समय पहले ही 50 लाख रुपए खर्च किया था। वर्तमान में पर्यटकों की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, इसलिए यह आत्महत्या का केन्द्र भी बन रहा है। उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पर्यटकों की जरूरत के अनुसार इसमें इंतजाम नहीं हैं।
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घिनौची धाम- यहां पर धरती से करीब 200 फीट नीचे दो जल प्रपातों का संगम देखने को मिलता है। प्राचीन शिवलिंग है जहां पर जलप्रपात से स्नान होता है। यहां 35.50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। पर्यटकों के लिए यह बंद है। तीन साल से रखरखाव के इंतजाम नहीं, सुरक्षा गार्ड दिन में दो रहते हैं।
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टोंस वाटर फाल – यहां पर जलप्रपातों की श्रृंखला है, दो वर्ष पहले 36.50 लाख रुपए की लागत से विकसित किया गया। 20 अक्टूबर 2020 से अब तक मरम्मत के नाम पर बंद है। सप्ताह भर का काम था लेकिन वन विभाग की उदासीनता से अब तक बंद है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं प्रवेश नहीं मिलने पर वापस लौट रहे हैं।
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योगिना माता- सिरमौर क्षेत्र में यह भी स्थित है। शैलचित्रोंंंंं की श्रृंखला है, यह पर्यटकों के लिए खुला है। यहां और सुविधाएं पर्यटक चाहते हैं।
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आल्हाघाट- यहां पर लोकदेव आल्हा की तपोस्थली रही है। पुरातत्वविद अलेक्जेंटर कनिंघम ने इस स्थान को प्रकाश में लाया था। 1883 में शिलालेख देखकर इसे प्रकाशित कराया था। तीन शिलालेख हैं, महाराजा नर्सिंगदेव का संवत 1216 ईसवी का उल्लेख है। गणेश और आल्हा की प्रतिमा आकर्षक रूप से उकेरी गई है। यहां डेढ़ सौ फीट लंबी गुफा है। 28.50 लाख की लागत से विकसित किया गया है। यह खुला है, लोग पहुंच रहे हैं।
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ेचचाई वाटर फाल- जब तक बीहर नदी का ओवरफ्लो पानी जाता है, तब तक यह प्रपात आकर्षण का केन्द्र रहता है और भीड़ आती है। बाद में कम संख्या में लोग आते हैं।
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पुरवा वाटर फाल- रीवा-सेमरिया मार्ग स्थित है। यह हमेशा खुला रहता है। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। रेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए नहीं बल्कि नेताओं-अफसरों के लिए है। गेस्टहाउस की मांग यहां पर हो रही है। यहां पर बड़ी संख्या में हर दिन पर्यटक आते हैं।
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खंधो माता मंदिर-– गोविंदगढ़ के नजदीक यह धार्मिक और प्राकृतिक स्थल है। यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने की वजह से दुर्घटनाएं भी हो रही है। इसके विकास का प्रस्ताव प्रशासनक की ओर से ब तक नहीं भेजा गया है।
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