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पिकनिक स्पाटों में कराए गए विकास कार्यों की रिपोर्ट तलब, पर्यटकों पर रोक की वजह भी पूछी

locationरीवाPublished: Jul 23, 2021 11:59:16 am

Submitted by:

Mrigendra Singh

 
– वन मुख्यालय ने पत्रिका में प्रकाशित खबर का हवाला देकर वर्ष 2018 से अब तक का मांगा ब्यौरा- असुरक्षा के चलते जिले के कई पिकनिक स्पाट बंद होने से पर्यटक हो रहे परेशान

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piknik spot in rewa district madhya pradesh


रीवा। जिले के पिकनिक स्पाटों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कराए गए विकास कार्यों को लेकर वन मुख्यालय ने रिपोर्ट तलब की है। साथ ही यह भी पूछा है कि मरम्मत के नाम पर क्या कार्य कराए गए हैं। इस संबंध में वन मुख्यालय का पत्र सीसीएफ और डीएफओ के पास आया है। बताया गया है कि ‘पत्रिकाÓ द्वारा जिले के पिकनिक स्पाटों में कराए गए विकास कार्यों के रखरखाव में लापरवाही किए जाने और कुछ स्पाटों में पर्यटकों को जाने से रोक लगाने पर आए दिन बड़ी संख्या में लौट रहे पर्यटकों से जुड़ी खबर प्रकाशित होती रही है। जिस पर अब अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने संज्ञान लिया है और रीवा के अधिकारियों से जवाब प्रस्तुत के लिए कहा है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने इको पर्यटन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि पत्रिका में प्रकाशित खबरों के साथ सिरमौर रीवा के सर्वेश कुमार सोनी ने शिकायत दर्ज कराई है कि रखरखाव का कार्य ठीक से नहीं किया जा रहा है। पर्यटन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से कहा है कि वह अपने स्तर पर इस मामले की निगरानी करें और सीसीएफ रीवा एवं डीएफओ रीवा के माध्यम से पिकनिक स्पाटों में आवश्यक व्यवस्थाएं कराएं।

दो साल से मरम्मत नहीं होने से बनी अव्यवस्था
जिले के पिकनिक स्पाट टोंस वाटर फाल, घिनौचीधाम एवं आल्हाघाट आदि स्थानों पर पर्यटक विकास बोर्ड की ओर से कार्य कराए गए थे। जहां पर पर्यटकों के बैठने की सुविधाओं के साथ ही सीढ़ी लगाने एवं अन्य सुविधाओं का इंतजाम किया गया था। टोंस वाटरफाल में 36.5 लाख, घिनौचीधाम में 35.50 लाख रुपए की लागत से कार्य कराए जाने के बाद उनका रखरखाव नहीं कराया गया तो अव्यवस्था बढऩे लगी है। सिटआउट एवं सीढिय़ां टूटने लगी हैं।
– दस महीने से पर्यटकों का प्रवेश बंद
सिरमौर क्षेत्र के प्रमुख पिकनिक स्पाट टोंस वाटरफाल एवं घिनौचीधाम में पर्यटकों का प्रवेश बीते साल अक्टूबर महीने से बंद है। अब बरसात के दिनों में प्राकृतिक नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आने लगे हैं। बाहर से आने वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं है कि यहां पर प्रवेश वर्जित है। इसलिए जब यहां आते हैं तब पता चलता है कि प्रवेश नहीं मिल रहा है, जिसके चलते मायूस होकर लौटना पड़ता है।
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कई जगह सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
रीवा जिले में जल प्रपातों के साथ ही अन्य प्राकृतिक स्थल ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पुरवा जलप्रपात, क्योंटी जलप्रपात, बहुती जलप्रपात, चचाई, टोंस वाटर फाल, पावन घिनौचीधाम, आल्हाघाट, खंधो मंदिर परिसर, गोविंदगढ़ तालाब सहित अन्य कई प्रमुख स्थल हैं जहां लोग प्राकृतिक सौंदर्य को देखने पहुंचते हैं। इन स्थलों पर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। क्योंटी में हाल ही में कई मौतें भी हो चुकी हैं।

ऐसी है स्थिति पिकनिक स्पाटों की –

क्योंटी– यह प्राकृतिक एवं पुरातात्विक महत्व का स्थल है। यहां पर वाटरफाल, किला, घाटी, भैरव मंदिर आदि देखने आते हैं। यहां पर पुरातत्व विभाग ने कुछ समय पहले ही 50 लाख रुपए खर्च किया था। वर्तमान में पर्यटकों की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, इसलिए यह आत्महत्या का केन्द्र भी बन रहा है। उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पर्यटकों की जरूरत के अनुसार इसमें इंतजाम नहीं हैं।
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घिनौची धाम- यहां पर धरती से करीब 200 फीट नीचे दो जल प्रपातों का संगम देखने को मिलता है। प्राचीन शिवलिंग है जहां पर जलप्रपात से स्नान होता है। यहां 35.50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। पर्यटकों के लिए यह बंद है। तीन साल से रखरखाव के इंतजाम नहीं, सुरक्षा गार्ड दिन में दो रहते हैं।
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टोंस वाटर फाल – यहां पर जलप्रपातों की श्रृंखला है, दो वर्ष पहले 36.50 लाख रुपए की लागत से विकसित किया गया। 20 अक्टूबर 2020 से अब तक मरम्मत के नाम पर बंद है। सप्ताह भर का काम था लेकिन वन विभाग की उदासीनता से अब तक बंद है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं प्रवेश नहीं मिलने पर वापस लौट रहे हैं।
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योगिना माता- सिरमौर क्षेत्र में यह भी स्थित है। शैलचित्रोंंंंं की श्रृंखला है, यह पर्यटकों के लिए खुला है। यहां और सुविधाएं पर्यटक चाहते हैं।
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आल्हाघाट- यहां पर लोकदेव आल्हा की तपोस्थली रही है। पुरातत्वविद अलेक्जेंटर कनिंघम ने इस स्थान को प्रकाश में लाया था। 1883 में शिलालेख देखकर इसे प्रकाशित कराया था। तीन शिलालेख हैं, महाराजा नर्सिंगदेव का संवत 1216 ईसवी का उल्लेख है। गणेश और आल्हा की प्रतिमा आकर्षक रूप से उकेरी गई है। यहां डेढ़ सौ फीट लंबी गुफा है। 28.50 लाख की लागत से विकसित किया गया है। यह खुला है, लोग पहुंच रहे हैं।
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ेचचाई वाटर फाल- जब तक बीहर नदी का ओवरफ्लो पानी जाता है, तब तक यह प्रपात आकर्षण का केन्द्र रहता है और भीड़ आती है। बाद में कम संख्या में लोग आते हैं।
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पुरवा वाटर फाल- रीवा-सेमरिया मार्ग स्थित है। यह हमेशा खुला रहता है। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। रेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए नहीं बल्कि नेताओं-अफसरों के लिए है। गेस्टहाउस की मांग यहां पर हो रही है। यहां पर बड़ी संख्या में हर दिन पर्यटक आते हैं।
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खंधो माता मंदिर-– गोविंदगढ़ के नजदीक यह धार्मिक और प्राकृतिक स्थल है। यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने की वजह से दुर्घटनाएं भी हो रही है। इसके विकास का प्रस्ताव प्रशासनक की ओर से ब तक नहीं भेजा गया है।

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