दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण
इस वर्ष अब जयंतीकुंज की नर्सरी में करीब आधा दर्जन से अधिक ऐसी प्रजाति के पौधे तैयार किए जाएंगे जो वन विभाग की दूसरी रोपणियों में तैयार नहीं होते। विभाग ने कई ग्रीन हाउस नर्सरी तैयार की है ताकि अनुकूल वातावरण पौधों को दिया जा सके। इसके अलावा पॉली हाउस में भी कुछ पौधे तैयार करने की तैयारी है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इस वर्ष ३ लाख से अधिक पौधे तैयार किए जाएंगे। बीते साल बाढ़ की वजह से जयंती कुंज नर्सरी को नुकसान हुआ था, जिसके चलते पौधे तैयार नहीं हो पाए थे। साथ ही बजट की समस्या भी आई थी, इस कारण इस साल तैयारी की गई है कि समय पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
इस वर्ष अब जयंतीकुंज की नर्सरी में करीब आधा दर्जन से अधिक ऐसी प्रजाति के पौधे तैयार किए जाएंगे जो वन विभाग की दूसरी रोपणियों में तैयार नहीं होते। विभाग ने कई ग्रीन हाउस नर्सरी तैयार की है ताकि अनुकूल वातावरण पौधों को दिया जा सके। इसके अलावा पॉली हाउस में भी कुछ पौधे तैयार करने की तैयारी है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इस वर्ष ३ लाख से अधिक पौधे तैयार किए जाएंगे। बीते साल बाढ़ की वजह से जयंती कुंज नर्सरी को नुकसान हुआ था, जिसके चलते पौधे तैयार नहीं हो पाए थे। साथ ही बजट की समस्या भी आई थी, इस कारण इस साल तैयारी की गई है कि समय पर पौधे उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
इन पौधों पर है फोकस
रीवा सहित आसपास के जिलों के जंगलों में जो पेड़ बहुतायत में पाए जाते थे वह अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। इसमें प्रमुख रूप से बीजा, मैदा, गुग्गल, दहिमन, कुंभी, कुल्लू, शीषम आदि शामिल हैं। इसमें जंगलों में तो पौधे लगाए ही जाएंगे, साथ ही अब आम लोगों द्वारा भी इनकी मांग की जा रही है। औषधीय महत्व के बारे में लोगों को जानकारी हो रही है, इस कारण पौधे घरों के पास ही लगाए जा रहे हैं।
रीवा सहित आसपास के जिलों के जंगलों में जो पेड़ बहुतायत में पाए जाते थे वह अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। इसमें प्रमुख रूप से बीजा, मैदा, गुग्गल, दहिमन, कुंभी, कुल्लू, शीषम आदि शामिल हैं। इसमें जंगलों में तो पौधे लगाए ही जाएंगे, साथ ही अब आम लोगों द्वारा भी इनकी मांग की जा रही है। औषधीय महत्व के बारे में लोगों को जानकारी हो रही है, इस कारण पौधे घरों के पास ही लगाए जा रहे हैं।
जंगलों में सर्वे के बाद शुरू की तैयारी
वन एवं अनुसंधान विस्तार द्वारा जंगलों के पौधों की रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसके लिए कई प्रमुख स्थानों पर सर्वे भी किया गया था। जिन स्थानों पर पहले वर्षों पुराने पेड़ थे, वह अब नष्ट हो चुके हैं अथवा उस ओर बढ़ रहे हैं। कुछ दिन पहले अनुसंधान विस्तार के पीसीसीएफ भी रीवा आए थे और उन्होंने बेहतर नर्सरी तैयार करने के लिए कहा था।
वन एवं अनुसंधान विस्तार द्वारा जंगलों के पौधों की रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसके लिए कई प्रमुख स्थानों पर सर्वे भी किया गया था। जिन स्थानों पर पहले वर्षों पुराने पेड़ थे, वह अब नष्ट हो चुके हैं अथवा उस ओर बढ़ रहे हैं। कुछ दिन पहले अनुसंधान विस्तार के पीसीसीएफ भी रीवा आए थे और उन्होंने बेहतर नर्सरी तैयार करने के लिए कहा था।
घर पर तैयार किए जा सकेंगे पौधे
जंगल में पाए जाने कई ऐसे पेड़ हैं जिनकी पत्ती, छाल, जड़ सहित अन्य हिस्सा गंभीर बीमारियों के काम आता है। आयुर्वेद की ओर बढ़ रहे रुझान के चलते अब लोग अपने घरों में ही औषधियों के पौधे लगा रहे हैं। इसी की वजह से वन अनुसंधान विस्तार वृत्त नर्सरी में पौधे तैयार कर लोगों को बिक्री करेगा, जिससे घर पर ही औषधियां तैयार की जा सकेंगी।
जंगल में पाए जाने कई ऐसे पेड़ हैं जिनकी पत्ती, छाल, जड़ सहित अन्य हिस्सा गंभीर बीमारियों के काम आता है। आयुर्वेद की ओर बढ़ रहे रुझान के चलते अब लोग अपने घरों में ही औषधियों के पौधे लगा रहे हैं। इसी की वजह से वन अनुसंधान विस्तार वृत्त नर्सरी में पौधे तैयार कर लोगों को बिक्री करेगा, जिससे घर पर ही औषधियां तैयार की जा सकेंगी।
विभाग लगातार कर रहा अध्ययन
वन एवं अनुसंधान विस्तार वृत्त के उप वनसंरक्षक एपी सिंह बताते हैं कि विंध्य के जंगलों से कई पुरानी प्रजातियों के पेड़ नष्ट होते जा रहे हैं। इस कारण उनके महत्व को देखते हुए पौधे तैयार किए जा रहे हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि समय पर करीब तीन लाख पौधे जयंतीकुंज की नर्सरी में तैयार हो जाएं।
वन एवं अनुसंधान विस्तार वृत्त के उप वनसंरक्षक एपी सिंह बताते हैं कि विंध्य के जंगलों से कई पुरानी प्रजातियों के पेड़ नष्ट होते जा रहे हैं। इस कारण उनके महत्व को देखते हुए पौधे तैयार किए जा रहे हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि समय पर करीब तीन लाख पौधे जयंतीकुंज की नर्सरी में तैयार हो जाएं।