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रीवा

पथ विक्रेताओं के रेड जोन एरिया का निर्धारण नहीं फिर भी पंजीयन अमान्य

– पीएम स्वनिधि योजना के हितग्राहियों के सत्यापन से एक हजार लोगों का पंजीयन निरस्त- नगर निगम ने कागज में निर्धारित किए जोन, ठेला-फुटपाथी व्यापारियों को नहीं मिला लाभ

रीवाJul 14, 2020 / 11:58 am

Mrigendra Singh

rewa

PM swanidhi yojna, street wenders in rewa


रीवा। शहर में पथ विक्रेताओं के लिए अभी तो कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं रही है। अब पीएम स्वनिधि योजना के तहत सरकार ने सभी पथ विक्रेताओं का आनलाइन पंजीयन शुरू किया है। जिसमें कई विसंगतियां सामने आई हैं और उनकी वजह से पथ विक्रेताओं के सामने बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है।
रीवा शहर के प्रमुख हिस्सों में ठेला लगाने वाले या फिर फुटपाथ पर बैठकर सामग्री बेचने वालों के पंजीयन में सवाल उठाए गए हैं। जो प्रमुख क्षेत्र में ठेले लगाते रहे हैं उन्हें रेड जोन का हवाला देते हुए पंजीयन निरस्त किया जा रहा है। इस कारण अब ऐसे लोग परेशान हैं, जो वास्तविक रूप से पथ विक्रेता हैं लेकिन गाइडलाइन के अनुसार फिट नहीं बैठ पा रहे हैं।
प्रदेश के अन्य शहरों में पथ विक्रेताओं के लिए गाइडलाइन निर्धारित है। रीवा में किस गाइडलाइन के तहत पथ विक्रेता अपना कारोबार कर सकते हैं, इसके बारे में कोई योजना अब तक नहीं बताई जाती रही है। शहर के गली-मोहल्लों से लेकर प्रमुख चौराहों और ऐसे प्रतिबंधित क्षेत्र जहां पर ठेले और फुटपाथ के व्यापार से तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा रहता है, वहां पर भी ठेले एवं अन्य फुटपाथी अपना रोजगार कर रहे हैं।
अब पीएम स्वनिधि योजना के तहत पंजीयन कर सभी को दस-दस हजार रुपए वितरित किए जा रहे हैं, ऐसे में रेड जोन में कारोबार करने वालों का पंजीयन निरस्त किया जा रहा है। रीवा नगर निगम में अब तक करीब एक हजार की संख्या में आवेदन निरस्त होने की जानकारी सामने आई है। इसकी शिकायतें भी इन पथ विक्रेताओं की ओर से नगर निगम के अधिकारियों के पास की गई हैं।
– व्यस्त ट्रैफिक और वीआईपी जोन में व्यवसाय प्रतिबंधित
शहरों में ठेला और फुटपाथ कारोबारियों के लिए गाइडलाइन तय है। जिसमें व्यस्त टै्रफिक वाले क्षेत्रों में वह अपनी दुकानें नहीं लगा सकते। साथ ही चिन्हित वीआईपी जोन या अन्य संवेदनशील हिस्से में किसी तरह का कारोबार प्रतिबंधित होता है। रीवा शहर में इन नियमों की अनदेखी की जा रही है। नगर निगम की ओर से भी ऐसे लोगों को कभी नहीं रोका गया। कुछ साल पहले यह कार्रवाई शुरू की गई थी जिसमें चौराहों से ठेला वालों को हाकर्स कार्नर में शिफ्ट किया जाना था। राजनीतिक दबाव के चलते यह कार्रवाई बीच में ही रोकनी पड़ी थी।
– इस तरह से बांटे गए हैं जोन
रेड जोन- शहर के प्रमुख चौराहों, कार्यालयों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों एवं अन्य ऐसे संवेदनशील स्थान जहां भीड़ की वजह से दिक्कतें हो सकती हैं। इन स्थानों पर बिना अनुमति व्यवसाय प्रतिबंधित है।
यलो जोन- शहर के कुछ स्थानों पर सड़कों के किनारे आवश्यकता के अनुसार ठेले एवं फुटपाथ पर व्यवसाय की अनुमति दी जाती है। इसमें भी चिन्हित संख्या में ही अनुमति है। शर्त होती है कि स्थाई दुकान नहीं लगा सकते।
ग्रीन जोन- इस जोन में उन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जहां पर प्रशासन द्वारा कारोबार की अनुमति दी जाती है। इसमें आवासीय कालोनियां भी शामिल हैं। जहां पर घर-घर जाकर सामग्री बेची जा सकती है। साथ ही शहर के बाजार क्षेत्र का भी कुछ हिस्सा ग्रीन जोन में होता है जहां पथ विक्रेताओं को अनुमति मिलती है।
– नगरीय निकायों में पंजीयन की यह है स्थिति
– नगर निगम रीवा- 11291
– मऊगंज- 1910
– सेमरिया – 1128
– मनगवां- 1094
– गुढ़- 988
– बैकुंठपुर- 834
– चाकघाट- 656
– त्योंथर- 585
– नईगढ़ी- 578
– हनुमना- 530
– गोविंदगढ़- 416
– सिरमौर- 396

— नोट- पथ विक्रेताओं के उक्त पंजीयन के बाद अब सत्यापन शुरू किया गया है, जिसमें रेड जोन एरिया वालों को आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं।

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