रीवा

अमीर बनने पुलिस आरक्षक बन गया गांजा तस्कर

उड़ीसा से तीन बड़ी खेप ला चुका है आरक्षक, 49 किलो गांजे के साथ तीन आरोपी गिरफ्तार

रीवाJul 12, 2018 / 09:35 pm

Lokmani shukla

Police constable rescuers became Ganja smuggler

रीवा। एक माह के अंदर पुलिस शहर में गांजे की तीसरी की बड़ी खेप पकड़ी है। 10 जुलाई की रात ११ बजे दो वाहनों से 49 किलो 500 ग्राम गांजा जप्त किया है। इसमें पुलिस ने तीन आरोपी प्रदीप मिश्रा निवासी कोठी, सौरभ मिश्रा निवासी महाजन टोला एवं हरीश मिश्रा निवासी सिरसा को गिरफ्तार किया है। वहीं दो आरोपी भागने में सफल रहे।
पकड़े गए आरोपियों में प्रदीप मिश्रा पुलिस लाइन में आरक्षक है। बताया जा रहा है कि पुलिस आरक्षक जल्दी पैसा कमानेे के लिए गाजा तस्करी करने लगा। अब तक शहर में तीन से अधिक खेप इस पुलिस आरक्षक ने मिलकर लाई है। इस धंधे से जुड़े अन्य अन्य लोगों का पता लगाने के लिए पुलिस आरोपियों से पूछतांछ कर रही है।
बताया जा रहा है कि पुलिस को मुखबिर से दो कार में माद्यक पदार्थ लाने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस ने घेराबंदी क र महसांव रेडियो स्टेशन के पास खजुहा मोड़ तरफ तेजी से जा रही ओमनी वैन को रोका। इस वाहन में पुलिस आरक्षक प्रदीप मिश्रा व सौरभ मिश्रा बैठे थे। इसी वाहन के पीछे सफेद रंग की एक अन्य कार बिना नम्बर के आई इसमें हरीश मिश्रा, राहुल पांडेय निवासी लक्ष्मणपुर, झब्बू उर्फ पिंटू निवासी मनेन्द्रगढ़ सवार थे, इन्होंने वाहन रोक पुलिस को देखकर भागने लगे। इसमें से पुलिस हरीश मिश्रा को पकड़ सकी है। वहीं राहुल पांडेय व पिटू अंधेरे का लाभ उठाकर भाग गए। पुलिस ने वाहन की तलाशी ली तो दो प्लास्टिक बैग में गांजा भारा मिला। एक बोरी में ३० पैकेट व दूसरी बोरी में २० पैकेट गांजा मिला। इस पर गुढ़ पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
गांजा तस्करों से थी दोस्ती
बताया गया है कि पुलिस आरक्षक की गांजा तस्करी करने वाल हरीश से पहले से दोस्ती थी। इस व्यवसाय में लाभ को देखते हुए जल्दी पैसा कमाने के लिए वह अपने दोस्तों के साथ गांजा तस्करी में करने वाले के साथ हो गया। इस तरह लंबे से समय गांजे का कारोबार कर रहा था। वहीं पुलिस के अधिकारी आरक्षक को पहलीबार गांजे की खेप लाना बता रहे हैं।
पुलिस अफसरों तक गांजा तस्करी की आंच
पुलिस व गाजा तस्करों की दोस्ती कई बार सामने आ चुकी है। इस मामले में न्यायालय के हस्ताक्षेप के बाद गुढ़ थाने के पूरे स्टॉफ को हटाया गया था। आरोप था कि पुलिस ने गांजा तस्करों को बचाने के लिए समय पर चालान पेश नहीं किया जिससे आरोपी को जमानत का लाभ मिला है। वहीं शहर में तीन दर्जन से अधिक पुलिस आरक्षक है जिनकी अपराधियों के साथ गहरी दोस्ती है। इन आरक्षकों को पुलिस आला अधिकारियों का संरक्षण है यही कारण है कि कई आरक्षक ज्वाइनिंग से लेकर अभी भी एक ही जगह जमे हुए हैं।

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