रोजना होगी अवैध वाहनों पर कार्रवाई-
टै्रफिक सूबेदार नृपेन्द्र सिंह ने बताया कि कार्रवाई के दौरान स्कूली बच्चों को घर पहुंचाने की बड़ी समस्या रहती है। इसे देखते हुए रोजना अवैध स्कूली वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान स्कूली बच्चों कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए वाहन में एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी को बैठया जा रहा है जो बच्चों को घर छोडऩे के बाद वापस वाहन व चालक को थाने लाएगा। स्टॉफ सीमित है और स्कूलों की छुट्टी साथ होती है इस तरह क्रमबद्ध तरीके से रोजना कार्रवाई की जाएगी।
टै्रफिक सूबेदार नृपेन्द्र सिंह ने बताया कि कार्रवाई के दौरान स्कूली बच्चों को घर पहुंचाने की बड़ी समस्या रहती है। इसे देखते हुए रोजना अवैध स्कूली वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान स्कूली बच्चों कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए वाहन में एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी को बैठया जा रहा है जो बच्चों को घर छोडऩे के बाद वापस वाहन व चालक को थाने लाएगा। स्टॉफ सीमित है और स्कूलों की छुट्टी साथ होती है इस तरह क्रमबद्ध तरीके से रोजना कार्रवाई की जाएगी।
बदल दिया मार्ग-
दोपहर जैसे ही वाहन की चैकिंग प्रांरभ हुई वैन एवं ओवरलोड ऑटो चालकों ने अपना मार्ग बदल दिया है। यह वाहन अन्य वकैल्पिक मार्गों से होते हुए घर पहुंचे। बताया जा रहा है अकेले शहर में 1 हजार से अधिक वाहन चल रहे हैं जो कि स्कूल वाहन के रुप में पंजीकृत ही नहीं है। वहीं वैन को हाइकोर्ट ने स्कूल वाहन के रुप से संचालित करने प्रतिबंधित किया है। साथ ही ऑटो में छोटे अधिकतम 5 बच्चे एवं बड़े तीन बच्चों को बैठाने की अनुमति दी है।
दोपहर जैसे ही वाहन की चैकिंग प्रांरभ हुई वैन एवं ओवरलोड ऑटो चालकों ने अपना मार्ग बदल दिया है। यह वाहन अन्य वकैल्पिक मार्गों से होते हुए घर पहुंचे। बताया जा रहा है अकेले शहर में 1 हजार से अधिक वाहन चल रहे हैं जो कि स्कूल वाहन के रुप में पंजीकृत ही नहीं है। वहीं वैन को हाइकोर्ट ने स्कूल वाहन के रुप से संचालित करने प्रतिबंधित किया है। साथ ही ऑटो में छोटे अधिकतम 5 बच्चे एवं बड़े तीन बच्चों को बैठाने की अनुमति दी है।
अभिभावक भी गैर जिम्मेदार-
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों का भी गैर जिम्मेदराना रवैया सामने आया है। अभिभावक जानते हुए भी अवैध स्कूली वाहनों में बच्चे लाने की सहमति दे रहे हैं। वहीं ओवरलोड ऑटो में बच्चों को असुरक्षित तरीके से बैठा देखकर भी कोई आपत्ति नहीं उठाते है। इसके पीछे अभिभावकों का तर्क है कि उनके पास और कोई विकल्प भी नहीं है।
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों का भी गैर जिम्मेदराना रवैया सामने आया है। अभिभावक जानते हुए भी अवैध स्कूली वाहनों में बच्चे लाने की सहमति दे रहे हैं। वहीं ओवरलोड ऑटो में बच्चों को असुरक्षित तरीके से बैठा देखकर भी कोई आपत्ति नहीं उठाते है। इसके पीछे अभिभावकों का तर्क है कि उनके पास और कोई विकल्प भी नहीं है।