पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक के लिए 59 करोड़ रुपए की जो राशि आई थी उसे एएचपी घटक के मकानों का निर्माण करा रहे ठेकेदारों को भुगतान किया गया है। उक्त राशि में बीएलसी घटक के लिए 44.23 करोड़ रुपए भुगतान किए गए हैं। शेष 14.77 करोड़ रुपए में से 14.12 करोड़ रुपए ठेकेदारों को बिना सक्षम स्वीकृति के भुगतान किया गया है।
बीएलसी घटक में हितग्राहियों को मकान बनाने के लिए राशि दी जाती है, कच्चे या पुराने मकानों का नए सिरे से निर्माण कराने पर योजना का लाभ दिया जाता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि 1080 हितग्राहियों को पांच महीने से राशि नहीं मिल पाई है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राहियों के लिए रतहरा और ललपा में 378 मकानों का निर्माण पूरा होने के बाद भी आवंटन नहीं किया गया।
बताया जा रहा है कि बीएलसी घटक की राशि का भुगतान एएचपी घटक के मकान बना रहे ठेकेदारों को किए जाने का मामला पहले भी सुर्खियों में आया था। परिषद की बैठक में पार्षदों ने हंगामा भी मचाया था। जिस पर आयुक्त सभाजीत यादव ने स्पष्ट किया था कि उनके पहले के निगम आयुक्त द्वारा राशि का भुगतान किया गया था, कुछ राशि उनके समय पर भुगतान हुई है, जिसे समायोजित किया जाएगा।
– कीमत की वजह से उलझा मामला
्प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान निर्माण पूरा होने के बाद भी आवंटन रुका हुआ है। 2240 ईडब्ल्यूएस मकानों के लिए लोगों से आवेदन लिए गए थे। पूर्व के अधिकारियों ने इसकी कीमत 7.10 लाख रुपए बताते हुए हितग्राहियों से दो लाख रुपए जमा कराने की बात कही थी। जिसकी वजह से 20 हजार हितग्राहियों ने जमा कर मकान के लिए पंजीयन कराया था और शेष 1.80 लाख रुपए बैंक फाइनेंस की जानी थी। अधिकारियों का तबादला हुआ तो यह कहा गया कि उक्त नियम केवल स्लम बस्ती के हितग्राहियों पर ही लागू होंगे। अन्य आवेदकों को 4.75 लाख रुपए जमा करने होंगे। इस वजह से लोगों ने पूर्व में जमा की गई राशि भी वापस मांगना शुरू कर दिया है। नियमों के इस पेंच की वजह से मकान का आवंटन भी रुका हुआ है।