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प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा क्या कहा कि लोग सत्यता तलाशने लगे

locationरीवाPublished: Jul 10, 2020 10:58:05 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– रीवा के सोलर पॉवर प्रोजेक्ट का किया लोकार्पण, बोले इतिहास में दर्ज होगा आज का दिन
 

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रीवा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रीवा में अल्ट्रामेगा सोलर पॉवर प्लांट का लोकार्पण वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किया। इस दौरान उन्होंने कई ऐसी बातें कहीं, जिस पर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने गलत तथ्य प्रस्तुत करने की बात कही है। उन्होने भाषण के शुरुआत में ही कहा कि रीवा की पहचान अब तक नर्मदा नदी और सफेद बाघों की वजह से रही है। अब सोलर पॉवर प्लांट के नाम पर यह जाना जाएगा। इस पर लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है कि रीवा में नर्मदा नदी नहीं बहती और न ही नहर के माध्यम से भी इसका पानी आता है। बल्कि सोन नदी का पानी नहर के माध्यम से आता है। इसी तरह एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट बता दिया, जिसके बाद लोगों ने एशिया के उन सभी बड़े सोलर प्रोजेक्ट का डिटेल्स सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जो रीवा के सोलर पॉवर प्लांट से अधिक क्षमता के हैं।

मोदी के भाषण में यह रहा खास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत विश्व में ‘क्लीन एनर्जी का मॉडल बनेगा। भारत ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ‘अंतराज़्ष्ट्रीय सोलर एलायंसÓ का निर्माण किया है। हमारे प्रयास है कि आम आदमी अपनी जरूरत की बिजली घर पर ही पैदा करे। इस कार्य में सरकार मदद करेगी। हम प्रयासरत है कि देश में बेहतर सोलर पैनल, बेट्री, स्टोरेज बनें तथा हमें विदेशों से उपकरण आयात नहीं करना पड़ें। मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हो रहे हंै। मध्यप्रदेश सस्ती एवं साफ -सुथरी बिजली का हब बन रहा है। रीवा ने आज वाकई इतिहास रच दिया है। सफेद बाघ के नाम से जाना जाने वाला रीवा अब विश्व में सोलर प्लांट के नाम से भी जाना जाएगा। यहां खेतों में लगे हजारों पैनल ऐसा एहसास दिलाते है, मानो खेतो में फसल लहरा रही हो या गहरे समंदर का नीला पानी हो। इस अभूतपूर्व कार्य के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, क्षेत्र की जनता सहित पूरी टीम बधाई की पात्र है।
परियोजना की महत्वपूर्ण उपलब्धियां

रीवा सौर परियोजना पहली ऐसी सौर परियोजना है जिससे प्राप्त विद्युत, तापीय ऊर्जा से प्राप्त विद्युत से सस्ती है। इस परियोजना से प्रथम बार ओपन एक्सेस के माध्यम से राज्य के बाहर किसी व्यावसायिक संस्थान ‘दिल्ली मेट्रोÓ को बिजली प्रदान की गई। आंतरिक ग्रिड समायोजन हेतु वल्र्ड बैंक और सीटीएफ ऋण प्राप्त करने वाली यह देश की प्रथम परियोजना है, जिसे विश्व बैंक का ऋण बिना राज्य शासन की गारंटी के मिला है।

परियोजना की तीन इकाइयों के विकासक क्रमश: महिंद्रा रिन्यूएबल, एक्मे सोलर होल्डिंग्स और एरिनसनक्लीन इनर्जी है- उक्त विकासक पहले वर्ष हेतु 2.97 रुपए की दर से बिजली उत्पादन करने के लिए चयनित हुए। इस वर्ष परियोजना को न्यूनतम टैरिफ प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री पुरुस्कार के लिए भी नामंकित किया गया था।
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