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90 हाईस्कूल व 57 हायर सेकेंडरी स्कूलों में नहीं हैं प्राचार्य, जानिए कैसे चल रहे है स्कूल

locationरीवाPublished: Feb 19, 2020 02:31:19 pm

Submitted by:

Lokmani shukla

सरकार हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों का बेहतर परीक्षा परिणाम लाने कई नवाचार कर रही है। इसके बावजूद स्कूलों के शिक्षा का स्तर में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे शैक्षणिक मूल्यांकन नहीं होना है। वर्तमान में जिले के 90 हाई स्कूल व 57 हायर सकेंडरी स्कूलों में प्राचार्य ही नहीं है।

Principals are not in 90 high schools and 57 higher secondary schools

Principals are not in 90 high schools and 57 higher secondary schools

रीवा। सरकार हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों का बेहतर परीक्षा परिणाम लाने कई नवाचार कर रही है। इसके बावजूद स्कूलों के शिक्षा का स्तर में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। इसके पीछे शैक्षणिक मूल्यांकन नहीं होना है। वर्तमान में जिले के 90 हाई स्कूल व 57 हायर सकेंडरी स्कूलों में प्राचार्य ही नहीं है। इन स्कूलों को प्रभारी प्राचार्य चला रहे है। यही कारण है शिक्षा की गुणवत्ता सुधर नहीं रही है। पूरे शैक्षणिक सत्र में प्राचार्य की नियुक्त नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि वर्तमान में 131 हाईस्कूल है इनमें 90 स्कूलों में प्राचार्य नहीं है। इनमें सात हाईस्कूल ऐसी है जिसमें न शिक्षक और न प्राचार्य हैं। ऐसे में इन हाईस्कूल में शिक्षा स्तर का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इनमें हाईस्कूल सैलया, तिलिया, आदिवासी बहुल्य स्कूल जरकुड़, कठेरी, कोनिया कला, खैरा एवं बरा खुर्द है। जहां प्राचार्य व नियमित शिक्षक नहीं होने के कारण पूरी अतिथि विद्वानों के भरोसे विद्यालय चल रहा है। ऐसे में इन विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसी तरह 130 हायर सेकेंडरी विद्यालयों में 57 विद्यालयों में प्राचार्य नहीं है।

मॉडल व एक्सीलेंस विद्यालय खाली
बताया जा रहा है जिले में ब्लांक स्तर में संचालित 6 मॉडल स्कूल एवं 9 एक्सीलेंस विद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं हैं। ऐसे में मॉडल स्कूल व एक्सीलेंस को प्रतिमाह मिलने वाला बजट तक खर्च नहीं हो पाता है। विगत वर्ष मॉडल एवं एक्सीलेंस विद्यालयों में बजट नहीं खर्च हो पाया है। प्रभारी प्राचार्य को आहरण वितरण का अधिकार नहीं होने के कारण अब शाला प्रबंधन समिति के खाते में राशि डाली गई है।
बाक्स
यह पड़ता है असर-
स्कूल में शैक्षणिक व प्रशासनिक गतिविधियों को पूरा नियंत्रण प्राचार्य पर होता है। प्राचार्य के नहीं होने के कारण शिक्षक के शैक्षणिक काम की मॉनीटरिंग नहीं होती है। इसका असर शिक्षा के स्तर पर पड़ता है । वहीं प्रशासनिक व्यवस्था सही नहीं होने के कारण सीएम हेल्प लाइन में शिकायत बढ़ती है।

130 हाईस्कूल
40 में नियमित प्राचार्य
44 नियमित प्राचार्य व शिक्षक
90 में शिक्षक लेकिन प्राचार्य नहीं
07 स्कूल ऐसे जहां नियमित शिक्षक व प्राचार्य नहीं

130 हायर सेकेंडरी स्कूल
74में नियमित प्राचार्य
73 में प्राचार्य व शिक्षक दोनों
57 में शिक्षक हैं प्राचार्य नहीं
01 प्राचार्य हैं शिक्षक

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