बंदूके छोड़ हुनर सीख रहे बंदी, सलाखों के पीछे उगाई 5 लाख की हरी सब्जियां
रीवाPublished: Mar 15, 2018 08:20:08 pm
केन्द्रीय जेल रीवा में पूरे मनोयोग से बंदियों ने उगाई हरी पौष्टिक सब्जियां, 2 किलो ग्राम तक चुकंदर एवं 4 किलो ग्राम तक पत्ता गोभी
Prisoners are learning skills in Central Jail
रीवा. कहते हैं कोई जन्म से अपराधी नहीं होता, हालात उसे जरायम की दुनिया में ढकेल देता है। कुछ ऐसा ही दर्जनों बंदियों के साथ भी हुआ है, जो अब बंदूके छोड़ सलाखों के पीछे हुनर सीख रहे हैं। ऐसा भी हुनर कि रासायनिक खादों को छोड़ जैविक खाद से हरी सब्जी तैयार कर रहे हैं। जिससे न केवल बंदियों के खाने का स्वाद बढ़ गया है बल्कि जेल सहित अफसरों के सेहत में सुधार आ रहा है।
केन्द्रीय जेल में सब्जी की खेती कर रहे बंदी
केन्द्रीय जेल रीवा में बन्दी पूरे मनोयोग से सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। बंदियों की ओर से उगाई गई सब्जियों से जेल के भोजन का स्वाद दोगुना हो गया है। बंदियों को प्रति दिन ताजी हरी सब्जियां तथा सलाद भोजन में मिल रहा है। बंदी जैविक विधि से सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। बंदियों ने इस वर्ष पांच लाख रुपए से अधिक की सब्जियों का उत्पादन किया है।
जेल में स्वारोजगारी बन रहे बंदी
जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि जेल में कृषि कार्य कर रहे बंदियों को फसल उत्पादन का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के उद्देश्य से कार्य किया जा रहा है। वे जेल के बगीचे में प्राकृतिक रूप से सब्जी का उत्पादन कर रहे है। इसमें रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता। जैविक विधि से सब्जी उत्पादित की जाती है।
आलू, टमाटर, चुकंदर का उत्पादन कर रहे बंदी
जेल अधीक्षक सोलंकी ने बताया कि बंदियों द्वारा आलू, टमाटर एवं गेंहू का उत्पादन किया जा रहा है। उनके द्वारा उत्पादित सब्जी की विशेषता यह है कि चुकंदर 2 किलो ग्राम तक एवं पत्ता गोभी 4 किलो ग्राम तक का हो रहा है। साथ ही चराई के माध्यम से गौशाला के लिए चारा का प्रबंध किया जाता है। इस कार्य में जेल प्रहरी रामानन्द पटेल के साथ 18 बंदी लगे हुए हैं। जेल बगीचे से प्रतिदिन 100 किलो ग्राम सब्जी उत्पादित हो रही है। सब्जी उत्पादन से बंदियों को अच्छे अनुभव के साथ पौष्टिक सब्जियां भी मिल रही हैं।