स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक ने निजी स्कूलों संचालकों किताबों की मनमानी रोकने सिर्फ स्कूलों को संबंधित बोर्ड के अतिरिक्त अन्य किताबे लगाने का निर्देश नहीं दिया था। साथ ही इस संबंध में नोटिस जारी कर सभी स्कूलों से प्रकाशकों कीसूची मांगी थी। लेकिन शहर में 12 अंग्रेजी माध्यमों के स्कूलों ने किताबों की सूची नहीं दी। साथ ही बोर्ड से अतिरिक्त निजी प्रकाशकों की किताबे लगा रहे है।
शहर की 12 बड़ी अंग्रेजी माध्यमों स्कूलों के किताबों की ब्रिकी शुरु हो गई। लेकिन यह इन स्कूलों की पुस्तके सिर्फ दो दुकानों में उपलब्ध है। इनमें एक-एक दुकानें स्कूल संचालकों ने अधिकृत कर रखी है। इन दुकानों के अतिरिक्त अभिभावकों को किताबे नहंी मिलेगी। परिणाम स्वरुप यह निजी प्रकाशकों की किताबे पिं्रट रेट में दे रही है। जबकि इन किताबों में प्रिंट रेट ३४ से ४० फीसदी तक अधिक रहते है।
शहर की निजी स्कूल सीबीएसई से सम्बद्धता के आधार में मोटी फीस वसूलते है। वहीं सीबीएसई की अधिकृत एनसीआरटी की किताबे लगाने में परहेज करते है। दरअसल कक्षा १ की एनसीईआरटी की किताबें जहां २४८ रुपए तक है। वहीं निजी प्रकाशकों की यही किताबेें २४ सौ से अधिक रुपए की है।