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दवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण कराने RTI के जरिए सेंपल लेने का प्रावधान

locationरीवाPublished: Nov 30, 2020 10:51:58 am

Submitted by:

Mrigendra Singh

– वेबीनार में राज्य सूचना आयुक्त ने स्वास्थ्य सेवाओं में आरटीआइ के प्रावधानों की दी जानकारी

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Provision for sample testing through RTI for quality testing of medicines


रीवा। स्वास्थ्य सेवाओं में सूचना का अधिकार अधिनियम किन-किन व्यवस्थाओं में लागू होता है, इसकी जानकारी देने के लिए वेबीनार का आयोजन किया गया। जहां पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से एक्टिविस्ट जुड़े। इस दौरान आयुक्त ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम में किसी भी सामग्री का सेंपल लेने का प्रावधान है। जिसमें धारा 2(जे) के तहत आवेदन लगाकर दवाओं का सेंपल लिया जा सकता है। इन सेंपलों की जांच लेबोरेटरी में कराई जा सकती है। दवाओं के साथ ही मेडिकल फैसिलिटी से संबंधित किसी अन्य सामग्री का भी सेंपल लिया जा सकता है। इस प्रकार यदि हमारे गांव में सरकार द्वारा किस प्रकार की दवा उपलब्ध करवाई जा रही है एवं उसकी गुणवत्ता क्या है तथा साथ में जो मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं उनमें कैसी दवा और व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है इसकी जानकारी आरटीआई के माध्यम से ली जा सकती हैं। गांधी मेमोरियल अस्पताल रीवा के शिशुरोग विशेषज्ञ डॉक्टर संतोष सिंह ने बताया की हेल्थ एक मेडिकल इश्यू तो है ही साथ में एक सामाजिक मुद्दा भी है। डॉ सिंह ने कहा कि ब्लॉक स्तर और स्थानीय निकाय स्तर पर सरकार द्वारा उपलब्ध की जा रही हॉस्पिटल फैसिलिटी का सही प्रकार से उपयोग न होने के कारण जिले और संभाग स्तर पर बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के ऊपर मरीजों की सेवा का भार बढ़ता जा रहा है। सबसे पहले आरटीआइ कार्यकर्ताओं को अपने स्थानीय निकाय स्तर पर किस प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है और वह हेल्थ फैसिलिटी कैसे काम कर रही है इस पर काम किया जाना चाहिए। वहीं संजयगांधी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. धीरेन्द्र मिश्रा ने कहा कि नशे के सेवन से लोगों के स्वास्थ्य और दिमाग पर गलत असर हो रहा है। इसलिए इसे रोकने में सूचना के अधिकार अधिनियम का सहारा लेकर लोगों में जागरुकता फैलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना गरीबों के लिए बड़ी सहायता के रूप में है। इसके कामकाज पर भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। स्वास्थ्य सेवाओं के किन क्षेत्रों में आरटीआइ के जरिए जागरुकता लाई जा सकती है, इस पर भी प्रकाश डाला। इस दौरान पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना बड़ी चुनौती है। इसमें इसमें अधिक संख्या में आरटीआइ दाखिल कर योजनाओं में पारदर्शिता लाने का प्रयास करें। छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट देवेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की वार्षिक रिपोर्ट लेकर उसकी समीक्षा करने की जरूरत होती है। इस दौरान आरटीआइ एक्टिविस्ट नित्यानंद मिश्रा, शिवानंद द्विवेदी, भास्कर प्रभु, शिवेन्द्र मिश्रा सहित कई अन्य लोग शामिल हुए।
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