परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद कई अभ्यर्थियों के द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की प्रमाणित प्रति की मांग की है। जिसमें कौशलेन्द्र प्रसाद ने भी आवेदन किया था। आयोग के तत्कालीन पदाधिकारियों ने उत्तर पुस्तिका की प्रमाणित प्रति यह कहते हुए देने से इंकार कर दिया था कि दस्तावेज का विनिष्टकरण कर दिया गया।
मामले में कुछ अभ्यर्थी सूचना अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका की प्रमाणित प्रति के लिए ग्वालियर उच्च न्यायालय खंड पीठ में याचिका दायर कर दिया। कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को उत्तर पुस्तिका की प्रमाणित प्रति देने के लिए आदेश दे दिया। मॉडल अंसरसीट मिलने पर अभ्यर्थियों को पता चला कि मनमानी तरीके से उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन कर अयोग्य उम्मीदवारों को योग्य बताते हुए चयन सूची जारी कर दी गई है। मामले की खंड पीठ में चुनौती दी गई।
पीडि़त ने लोकायुक्त को दिए गए आवेदन में यह भी बताया है कि डिविजनल बेंच ने मार्च 2014 को अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने विनिष्टीकरण में अनियमितता पाए जाने पर रविशंकर अग्रवाल व अन्य विरूद्ध कार्रवाई करने का आदेश देते हुए याचिकर्ता को पांच लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया गया। तब से लेकर मामला लंबित पड़ा हुआ है।
मामले में अभ्यर्थी की ओर से कांग्रेस कमेटी के प्रदेशकार्यकारिणी के सदस्य ने लोकायुक्त भोपाल को आवेदन देकर नियम-कायदे को दरकिनार कर सहायक जिला लोक अभियोजन परीक्षा २०१० के दस्तावेजों के विनिष्टीकरण के आदेश देने वाले पदाािकारी तत्कालीन अध्यक्ष सहित अन्य सदस्यों की जांच कर कानूनी कार्यवाही की मांग उठाई है।