प्रदेश के भीतर नेताओं के नामों पर चर्चा शुरू हुई तो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सहित कई पूर्व मंत्री इसकी दौड़ में शामिल थे। जातिगत वोटों को साधने में लगी कांग्रेस के लिए यह एक अवसर था कि वह ऐसे वोट बैंक पर नजर दौड़ाए जिससे चुनाव में फायदा मिल सके। राजमणि पटेल पुराने नेता हैं साथ ही पिछड़ा वर्ग के लिए वह कई सामाजिक आंदोलन भी चला चुके हैं। इस कारण पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह ओबीसी वर्ग पर उनकी पकड़ है। इसके साथ ही कांग्रेस ने यह भी संदेश देने का प्रयास किया है कि विंध्य क्षेत्र उसके लिए अब भी महत्वपूर्ण है। इसी क्षेत्र से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भी आते हैं। ओबीसी में पटेलों का वोट कांग्रेस से छिटककर भाजपा और बसपा की ओर चला गया है। इसी के चलते राजमणि को राज्यसभा के लिए नामांकित कर पार्टी ने इस बड़ी संख्या वाले वोटबैंक को लुभाने का प्रयास किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की नजदीकी होने के चलते राममणि को पूर्व में कई अवसर दिए गए लेकिन कुछ समय से वह हासिए पर चल रहे थे।
राजमणि पटेल की इमानदार नेता की भी छवि रही है। तीन बार मंत्री के अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे लेकिन विवादों से दूर रहे हैं। कांग्रेस के अन्य सभी बड़े नेताओं पर आरोप लगते रहे हंै लेकिन इन पर कभी इस तरह का आरोप नहीं लगा। इनके नाम का चयन कर कांग्रेस ने यह भी संदेश देने का प्रयास किया है कि इमानदार और पार्टी के लिए समर्पित नेताओं को अवसर आगे भी मिलेंगे।
वर्ष 2003 और 2012 में पूरे प्रदेश का भ्रमण कर ‘जागो जगाओ जोड़ो कर्मवीर जागरण यात्राÓ निकाली। मप्र पिछड़ा वर्ग सामाजिक संगठन के प्रांताध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा लगातार वह सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाते रहे हैं। व्यापमं घोटाले पर भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। पिछड़ा वर्ग सामाजिक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
नाम- राजमणि पटेल
जन्म- 20 जुलाई 1945
शिक्षा- एमए समाजशास्त्र, एलएलबी
छात्र नेता– टीआरएस कालेज रीवा में 1965 में छात्रसंघ सचिव बने।
अधिवक्ता संघ के कोषाध्यक्ष– 1970 में चुने गए।
विधायक- सिरमौर से 1972, 1980, 1985, 1998
मंत्री- 1985 में राजस्व, विधि एवं संसदीय कार्य, दोबारा जनशक्ति नियोजन, 1998 में योजना एवं संख्यकी।
संगठन के पद– 1973 में जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष, 1975 में प्रदेश उपाध्यक्ष, 1997 प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, 1990 से 2008 तक एआईसीसी के सदस्य रहे।
कांग्रेस नेता राजमणि पटेल रीवा से राज्यसभा के लिए जाने वाले पांचवे नेता होंगे। इसके पहले कप्तान अवधेश प्रताप सिंह, जगदीश चंद्र जोशी, गुरुदेव गुप्ता, केशव प्रसाद शुक्ला राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। सतना से गुलशेर अहमद, सीधी से अर्जुन सिंह और जगन्नाथ सिंह भी राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विंध्य के राजनीतिक विश्लेशक जयराम शुक्ला का कहना है कि सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से विंध्य ने सदैव अपना महत्व बनाए रखा। कुछ समय से राज्यसभा के लिए इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा था लेकिन दोनों दलों ने ऐसे नेताओं के नामों का चयन किया है, जिनकी सराहना पार्टियों के भीतर और बाहर दोनों जगह होगी।
राजमणि पटेल ने पहली बार 1972 में सिरमौर से चुनाव लड़ा और समाजवादी नेता यमुना प्रसाद शास्त्री को हराकर सुर्खियों में आए। इसके बाद सन 80 और 85 में लगातार विधायक बने। सन 82 में सेतु निर्माण निगम के अध्यक्ष भी बने। पहली बार 1985-90 तक राजस्व एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे। 98 में भी मंत्री बने। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकाली अध्यक्ष के साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।