MP के इस अस्पताल में मरीजों का आइवी फ्लूड पी रहे चूहे
प्रबंधन बेखबर, गोदाम में सुरक्षा के नहीं हैं इंतजाम, कचरे के ढेर जैसे फेंक दिए जाते हैं आइवी फ्लूड के पैकेट

रीवा। संजय गांधी अस्पताल के दवा गोदाम में रखा मरीजों का आइवी फ्लूड (आईसोलेटेड-एम) चूहे डकार रहे हैं। गोदाम प्रभारी सहित अस्पताल प्रबंधन इससे बेखबर है।
आइवी फ्लूड आईसोलेट-एम की डिमांड संजय गांधी अस्पताल में मेडिसिन और सर्जरी विभाग में रहती है। डेढ़ महीने के अंतराल में लगभग 7000 बॉटल आइवी फ्लूड सप्लाई होता है। प्लास्टिक बाटलों के सील पैकेट गोदाम में रखे जाते हैं। गोदाम व्यवस्थित न होने के कारण एक के ऊपर एक पैकेट फेंक दिए जाते हैं। गोदाम में चौबीस घंटे अंधेरा व्याप्त रहता है। जिसका फायदा चूहे उठा रहे हैं। पैकेटों का आइवी फ्लूड रात-दिन कुतर-कु तर पी रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक कम से कम तीन सौ बाटल आईवी फ्लूड चूहे चपत कर चुके हैं। गोदाम के कर्मचारी से पूछा गया तो उसने बताया कि गोदाम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि फ्लूड को चूहों से बचाया जा सके।
दवा मार्केट में 80 रुपए कीमत
दवा बाजार में एक बाटल आईसोलेटेड-एम की कीमत करीब 80 रुपए है। देखा जाए तो नुकसान लाखों में नहीं है लेकिन यह बेहद महत्वपूर्ण लिक्विड आहार है। इसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए। इससे पहले भी मामले सामने आ चुके हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल प्रबंधन की बेपरवाही भारी पड़ रही है।
मरीजों का लिक्विड आहार है ये
सर्जरी के बाद जो मरीज कुछ खा नहीं पाते हैं और जिनमें इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन ठीक नहीं होता है। साथ ही सोडियम की मात्रा कम रहती है। उन मरीजों को एक बाटल आईवी फ्लूड चढ़ाया जाता है। यह एक प्रकार से मरीजों का लिक्विड आहार है।
इन बीमारियों में देते हैं...
वायरल फीवर, डायरिया, अल्सर, पेट संबंधी अन्य रोगों, मस्तिष्क संबंधी बीमारी और सर्जरी के केस में आईवी फ्लूड दिया जाता है।आइवी फ्लूड बेहद महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग भी सुरक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन जिस तरह से आइवी फ्लूड के पैकेट फेंके जाते हैं उससे फंगस लगने की संभावनाएं अधिक होती है।
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