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रीवा

बैंक में आखिर ऐसा क्या हुआ कि कलेक्टर को जाकर पूछना पड़ा कि बताइए घोटाले का हाल

कलेक्टर ने पूछा तीन साल में कहां तक पहुंची घोटाले की जांच- सहकारी बैंक घोटाले में डभौरा ब्रांच के अधिकारियों के साथ की बैठक- गबन की राशि वापस करने बैंक द्वारा किए गए प्रयास पर मांगी रिपोर्ट

रीवाMay 24, 2019 / 09:50 pm

Mrigendra Singh

rewa

Report sent by collector’s cooperative bank scam

रीवा। जिला सहकारी बैंक घोटाले की जांच लंबे समय से धीमी गति से चल रही है। बैंक के प्रशासक और कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने अचानक इसकी जांच से जुड़ी जानकारी तलब कर ली। डभौरा ब्रांच में हुए घोटाले की जांच और गबन के राशि की रिकवरी की विस्तार से जानकारी ली है। बैंक के सीइओ और वकीलों ने शुरू से लेकर अब तक रिपोर्ट दी है।
इस घोटाले में दो एफआइआर दर्ज किए गए हैं, उनकी जांच में हो रहे विलंब का भी कारण पूछा। साथ ही बंैक सीइओ से यह भी जाना कि इसके पहले कब-कब जांच एजेंसियों की ओर से जानकारियां मांगी गई और कितने दिन में जवाब भेजे गए। बैंक अधिकारियों को निर्देशित किया कि जो भी गबन की राशि है, उसकी वसूली के लिए आरोपियों की संपत्ति के अटैचमेंट की कार्रवाई तेज कराएं। इस घोटाले में २५ करोड़ से अधिक की राशि का गबन हुआ है, जिसमें बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रमुख भूमिका रही है। घोटाले में कई राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही अन्य रसूखदारों के नाम भी हैं। लगातार आरोप लगते रहे हैं कि इसी वजह से जांच की गति धीमी होती जा रही है।
– जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
बैंक के अधिकारियों ने जानकारी दी कि दो एफआइआर हैं जिसमें एक की जांच सीआइडी और दूसरे की जांच डभौरा थाने की पुलिस कर रही है। करीब एक वर्ष से अधिक का समय बीत गया है किसी भी फरार आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और न ही पूर्व में सरेंडर करने वाले आरोपियों से जब्ती बनाई गई। जबकि अधिकांश आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई, उनके साथ कई स्थानों पर छापामारी का दावा भी किया गया लेकिन खाली हाथ ही कोर्ट में पेश किया गया। लंबे समय से कुछ अधिकारियों को जांच मिली है, उनकी भूमिका को लेकर कलेक्टर को जानकारी दी गई है। जिस पर कलेक्टर ने संज्ञान लेने की बात कही है।
– संपत्ति की कुर्की पर अब होगा जोर
ैबैठक में कलेक्टर के साथ राजस्व के अधिकारी भी मौजूद रहे, जिन्हें निर्देशित किया है कि बैंक प्रबंधन के साथ मिलकर आरोपियों की चल-अचल संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई पर फोकस करें, ताकि बैंक के गबन की राशि को रिकवर किया जा सके। बताया गया कि कोर्ट में कुर्की से जुड़ी धारा ८२ और ८३ की कार्रवाई लंबित है। लगातार पेशियां बढ़ाई जा रही हैं लेकिन सीआइडी की ओर से संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने भी निर्देशित किया है कि जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
– जब्त वाहनों की नहीं हो पाई नीलामी
घोटाले के आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान तीन वर्ष पहले ही करीब आधा दर्ज दो पहिया और चार पहिया लग्जरी वाहन जब्त किए गए थे। इन वाहनों को बैंक अपने सुपुर्द कराने के लिए कोर्ट में आवेदन कर चुका है लेकिन अब तक बैंक को वाहन नहीं मिले, जिसके चलते नीलामी नहीं हो सकी है। इस कार्य को भी आगे बढ़ाने का निर्देश कलेक्टर ने दिया है।
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