– जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
बैंक के अधिकारियों ने जानकारी दी कि दो एफआइआर हैं जिसमें एक की जांच सीआइडी और दूसरे की जांच डभौरा थाने की पुलिस कर रही है। करीब एक वर्ष से अधिक का समय बीत गया है किसी भी फरार आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और न ही पूर्व में सरेंडर करने वाले आरोपियों से जब्ती बनाई गई। जबकि अधिकांश आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई, उनके साथ कई स्थानों पर छापामारी का दावा भी किया गया लेकिन खाली हाथ ही कोर्ट में पेश किया गया। लंबे समय से कुछ अधिकारियों को जांच मिली है, उनकी भूमिका को लेकर कलेक्टर को जानकारी दी गई है। जिस पर कलेक्टर ने संज्ञान लेने की बात कही है।
– संपत्ति की कुर्की पर अब होगा जोर
ैबैठक में कलेक्टर के साथ राजस्व के अधिकारी भी मौजूद रहे, जिन्हें निर्देशित किया है कि बैंक प्रबंधन के साथ मिलकर आरोपियों की चल-अचल संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई पर फोकस करें, ताकि बैंक के गबन की राशि को रिकवर किया जा सके। बताया गया कि कोर्ट में कुर्की से जुड़ी धारा ८२ और ८३ की कार्रवाई लंबित है। लगातार पेशियां बढ़ाई जा रही हैं लेकिन सीआइडी की ओर से संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने भी निर्देशित किया है कि जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
– जब्त वाहनों की नहीं हो पाई नीलामी
घोटाले के आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान तीन वर्ष पहले ही करीब आधा दर्ज दो पहिया और चार पहिया लग्जरी वाहन जब्त किए गए थे। इन वाहनों को बैंक अपने सुपुर्द कराने के लिए कोर्ट में आवेदन कर चुका है लेकिन अब तक बैंक को वाहन नहीं मिले, जिसके चलते नीलामी नहीं हो सकी है। इस कार्य को भी आगे बढ़ाने का निर्देश कलेक्टर ने दिया है।