आंखों से छलक पकड़े आंसू
रिहाई के दौरान बंदियों के परिजन भी जेल परिसर में आए हुए थे। जेल की चार दीवारी से बाहर निकलते ही बंदियों की आंखों से आंसू छलक आए। अपने जीवन के इतने वषज़् जेल में गुजारने के बाद अपनों से मिलते ही बंदियों की खुशी का ठिकाना न रहा। रिहा बंदियों का कहना था कि जेल से रिहा होने के बाद हम अपने परिवार के बीच रहेंगे। जेल में जो कुछ सीखने को मिला है वह हमारे जीवन को एक नई दिशा देगा। जेल अधीक्षक अनिल सिंह परिहार ने रिहा होने वाले सभी बंदियों को शुभकामनाएं दी और समाज में एक सभ्य नागरिक बनकर रहने के लिए प्रेरित किया।
रिहाई के दौरान बंदियों के परिजन भी जेल परिसर में आए हुए थे। जेल की चार दीवारी से बाहर निकलते ही बंदियों की आंखों से आंसू छलक आए। अपने जीवन के इतने वषज़् जेल में गुजारने के बाद अपनों से मिलते ही बंदियों की खुशी का ठिकाना न रहा। रिहा बंदियों का कहना था कि जेल से रिहा होने के बाद हम अपने परिवार के बीच रहेंगे। जेल में जो कुछ सीखने को मिला है वह हमारे जीवन को एक नई दिशा देगा। जेल अधीक्षक अनिल सिंह परिहार ने रिहा होने वाले सभी बंदियों को शुभकामनाएं दी और समाज में एक सभ्य नागरिक बनकर रहने के लिए प्रेरित किया।
हाथ जोड़कर जेल को किया प्रणाम, दुबारा न आने की ली शपथ
जेल से निकलने के बाद कैदी अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए। कुछ ने तो जाने से पहले जेल को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और दुबारा न आने की शपथ ली। वही कुछ बंदी अपने परिजनों से लिपट गए जिनकी आंखों से छलकते आंसू उनकी खुशी को व्यक्त कर रहे थे। इतने साल बाद अपनों से मिलने की खुशी आंसू बनकर बाहर आ गई।
जेल से निकलने के बाद कैदी अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए। कुछ ने तो जाने से पहले जेल को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और दुबारा न आने की शपथ ली। वही कुछ बंदी अपने परिजनों से लिपट गए जिनकी आंखों से छलकते आंसू उनकी खुशी को व्यक्त कर रहे थे। इतने साल बाद अपनों से मिलने की खुशी आंसू बनकर बाहर आ गई।