scriptआरक्षण रोस्टर पर बवाल : विश्वविद्यालय ने पद के बिना कर्मचारियों को किया नियमित, 25 साल बाद भी स्वीकृति नहीं | reservation issue, apsu rewa, karmchari sangh | Patrika News
रीवा

आरक्षण रोस्टर पर बवाल : विश्वविद्यालय ने पद के बिना कर्मचारियों को किया नियमित, 25 साल बाद भी स्वीकृति नहीं

– अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का मामला, शासन के पूछने पर भी नहीं भेजा जवाब- अजाक्स ने मुख्यमंत्री से की शिकायत, कार्रवाई का मिला आश्वासन

रीवाAug 20, 2019 / 12:13 pm

Mrigendra Singh

rewa

reservation issue, apsu rewa, karmchari sangh

रीवा. अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में शासन द्वारा पद स्वीकृत किए बिना ही दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किया गया था। इसकी स्वीकृति 25 वर्ष बाद भी नहीं हो सकी है, जिसकी वजह से विश्वविद्यालय खुद के बजट से ही वेतन का भुगतान कर रहा है। इन कर्मचारियों को शासन से वेतन नहीं आ रहा है। पूर्व में प्रबंधन द्वारा की गई गलती को अब तक नहीं सुधारा गया है, इसके लिए शासन स्तर पर किसी तरह की मांग भी नहीं की जा रही है।
कर्मचारी संगठन अजाक्स ने विश्वविद्यालय की इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया है और कहा है कि 84 की संख्या में पदों का सृजन नहीं होने के बाद भी नियमों की कई तरह से अनदेखी की गई है। इसकी शिकायत संगठन की ओर से सीएम हाउस में की गई है। गत दिवस भोपाल में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय सम्मेलन में रीवा से गए पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री इस पर कार्रवाई की मांग की है। जिस पर आश्वासन मिला है कि अजाक्स कर्मचारियों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होगा।
बताया गया है कि वर्ष 1988 से पहले विश्वविद्यालय ने 104 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। इसमें 20 पद शासन से स्वीकृत हुए तो उन्हें समायोजित कर दिया गया। इसके बाद 27 मई 1995 को 84 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया, जबकि इनके लिए शासन से पद ही स्वीकृत नहीं था। विश्वविद्यालय ने उस दौरान इन कर्मचारियों के वेतन की मांग शासन से की लेकिन वहां से इंकार कर दिया गया तो विश्वविद्यालय खुद के बजट से इनको भुगतान कर रहा है।
– आरक्षण रोस्टर का नहीं किया पालन
जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को विश्वविद्यालय की ओर से नियमित किया गया, उसमें आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया। इसलिए उक्त कर्मचारियों के आरक्षण से जुड़ी जानकारी का कोई दस्तावेज भी विश्वविद्यालय के पास नहीं है। अजाक्स कर्मचारी संगठन के संभागीय महासचिव रामसुजान साकेत ने कहा है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को इसमें शामिल नहीं किया गया था। हाल ही में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में विश्वविद्यालय ने कहा कि जब अभिलेखों का संधारण ही नहीं किया गया तो सत्यापित प्रति देने का सवाल नहीं उठता।

– रिटायर हो रहे कर्मचारी, पेंशन पर पेंच
विश्वविद्यालय की सेवा के बाद कर्मचारी रिटायर्ड भी होते जा रहे हैं। शासन द्वारा पेंशन का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है। जिसकी शिकायत लेकर ये रिटायर्ड कर्मचारी भटक रहे हैं। रिटायर होने वाले तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्य सहायक रामबहोर पटेल, कुक कुसुमकली, चौकीदार रामबहोर पटेल, रामभान सिंह, भृत्य सुदर्शन मिश्रा आदि शामिल हैं।
– शासन ने स्थाई घोषित करने का पूछा कारण
उच्च शिक्षा विभाग के पास कई बार यह मामला पहुंच चुका है, विश्वविद्यालय को पत्र भी लिखे जाते रहे हैं। कुछ समय पहले ही कुलसचिव को पत्र आया था जिसमें पूछा गया था कि आकस्मिक निधि से 84 कर्मचारियों को नियमित वेतनमान किन नियमों के तहत स्वीकृत किया गया है। बताया गया है कि 1995 से नियमित वेतनमान कर्मचारियों को दिया जा रहा था। 14 मई 2010 से इन्हें स्थाई घोषित कर दिया गया है। इस पूरे मामले की जानकारी उच्च शिक्षा विभाग ने चाही है लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से कोई ठोस कारण नहीं बताया गया, जिसकी वजह से आगे भी इनके पद स्वीकृत होने का मामला खटाई में पड़ सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो