करीब तीन दशक पहले विश्वविद्यालय में कर्मचारी यह सोचकर आए थे कि वह आज नहीं तो कल नियमित हो जाएंगे। लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद उनकी यह आस अधूरी रह गई है। नियमित करने की बात तो दूर विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें स्थाई कर्मी बनाने में भी रुचि नहीं ले रहा है। जबकि इस बावत शासन स्तर से आदेश भी जारी हो गया है।
उच्च शिक्षा विभाग ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मी बनाने का आदेश जारी कर दिया है। स्थाई कर्मी बनने के बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को एक साथ कई लाभ मिल जाएंगे। एक तो वह शासन के रिकॉर्ड में शामिल हो जाएंगे। दूसरे शासन स्तर से प्रतिवर्ष बढऩे वाले विभिन्न भत्तों का लाभ भी मिलने लगेगा। जबकि अभी उन्हें वेतन का भुगतान कलेक्टर रेट से किया जाता है।
विश्वविद्यालय में दैनिक वेतनभोगी के रूप में 85 कर्मचारी अपने स्थाई कर्मी बनने की बाट जोह रहे हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें हर महीने केवल सात से साढ़े सात हजार रुपए दिया जाता है। वर्षों से वह इसी में अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। स्थाई कर्मी बनाए जाने के बाद उन्हें 10 से 12 हजार रुपए मिलने लगेंगे।
वर्तमान में जिन मांगों को लेकर विश्वविद्यालय कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। उन मांगों में यह दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के स्थाई कर्मी बनाए जाने की मांग भी शामिल हैं। विवि कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बुद्धसेन पटेल के मुताबिक शासन के आदेश के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन दैनिक कर्मियों को स्थाई कर्मी बनाने का आदेश जारी नहीं कर रहा है।
53 दैनिक कर्मी यंत्री शाखा से संबद्ध
17 दैनिक कर्मी स्थापना से संबद्ध
15 दैनिक कर्मी स्ववित्तीय से संबद्ध