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शासन की उदासीनता के चलते ढेर हो गए विश्वविद्यालय के सारे सपने, बेस्ट बनने अधिकारियों ने बनाई थी योजना

locationरीवाPublished: Aug 10, 2018 05:15:31 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

बजट के अभाव बना कारण…

REWA APSU stop construction without fund, minister inaugurate work

REWA APSU stop construction without fund, minister inaugurate work

रीवा। स्वर्ण जयंती वर्ष में इतने कार्य होंगे कि विश्वविद्यालय की तस्वीर बदल जाएगी। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कुछ ऐसे ही सुनहरे सपने बुने थे लेकिन बजट के अभाव सारे के सारे सपने अधूरे रह गए हैं। अधिकारियों की तमाम कोशिश के बावजूद विश्वविद्यालय को बजट के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है।
अधर में लटका सभी प्रस्ताव
विश्वविद्यालय 50 वर्ष में प्रवेश पर अधिकारियों की ओर से करीब 55 करोड़ रुपए से विश्वविद्यालय के कायाकल्प की योजना बनाई गई। ज्यादातर योजनाओं में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व शासन स्तर से सहमति तो मिल गई लेकिन अभी तक बजट जारी नहीं हो सका है। नतीजा लगभग सभी प्रस्ताव अधर में लटक गया है। यह हाल तब है जबकि उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन अवसर पर कई भवनों का शिलान्यस भी कर दिया है।
शासन से मिलता है महज 3.21 करोड़
विश्वविद्यालय के अधिकारियों की माने तो तेरहवीं पंचवर्षीय योजना में केवल शासन से मिलने वाला वर्षों पुराना बजट ही प्राप्त हो सका है। महज 3.21 करोड़ रुपए का शासन से मिलने वाला यह बजट ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। क्योंकि इस बजट में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को एक महीने का वेतन दे पाना भी मुमकिन नहीं होता है।
केवल अत्यावश्यक सेवाओं पर खर्च होगा बजट
विश्वविद्यालय के सूत्रों की माने तो वित्त विभाग ने सभी तरह के निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) से बजट मिलने तक केवल अत्यावश्यक सेवाओं पर बजट खर्च करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय के पास वर्तमान में आय का स्रोत केवल छात्रों की फीस है।
12 पंचवर्षीय योजना का नहीं ले सके चार करोड़
विश्वविद्यालय प्रशासन यूजीसी से 12 वीं पंचवर्षीय योजना का भी स्वीकृत पूरा बजट प्राप्त नहीं सका है। अधिकारियों की माने तो 12 वीं योजना के तहत एपीएस को 12 करोड़ रुपए की स्वीकृत किए गए थे लेकिन अधिकारी योजना के तहत डेढ़ वर्ष के एक्सटेंशन के बावजूद चार करोड़ रुपए प्राप्त नहीं कर सके हैं। यूजीसी से विश्वविद्यालय को केवल आठ करोड़ रुपए की मिल सके हैं।
प्रस्ताव में शामिल प्रमुख कार्य
– एक हजार सीट का ऑडिटोरियम
– इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
– कंप्यूटर एप्लीकेशन भवन
– विश्वविद्यालय की बाउंड्रीवाल
– परिसर में विभागों का संपर्क मार्ग
– आधा दर्जन भवनों का रेनोवेशन
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