सरकार ने स्वरोजगार योजनाएं स्वीकृत करने के लिए नगर निगम को निर्देशित किया था कि वार्डों में इसके लिए शिविर लगाए जाएं। इसमें पार्षदों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लेकर अधिक से अधिक हितग्राहियों को शिविर तक लाएं। नगर निगम के अधिकारी दूसरे कार्यों में उलझे रहे, इस पर अधिक ध्यान नहीं दिए जाने की वजह से रैंकिंग में लगातार शहर पिछड़ता जा रहा है।
स्वरोजगार प्रारंभ करने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना राज्य शहरी आजीविका मिशन के तहत दो तरह से ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। एनयूएलएम के प्रबंधक पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि योजना के एक घटक में 50 हजार रुपए तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें 55 वर्ष तक के गरीब परिवारों को ही लाभ मिल सकता है। वहीं दूसरे घटक में पांचवी पास होना अनिवार्य किया गया है, इसमें दो लाख रुपए तक का ऋण स्वीकृत कराया जाता है। सिंह का कहना है कि इसमें सात प्रतिशत से अधिक जो भी ब्याज बैंकों द्वारा लिया जाता है उसे निकाय स्तर पर उपलब्ध कराया जाता है।
रीवा नगर निगम को जो टारगेट मिला था उस पर 46 प्रतिशत की ही पूर्ति हो पाई है। इसी के चलते रैंकिंग में 28वें स्थान पर खिसक गए। स्वरोजगार के लिए 300 का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें 138 प्रकरणों की स्वीकृति हो सकी। वहीं वितरित प्रकरणों की संख्या 24 ही रह गई। लक्ष्य पूर्तिके लिए समय-समय पर विभाग के अधिकारियों द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की जाती रही।
शहर रैंक
उमरिया – 04
सीधी – 08
मैहर – 13
सतना – 16
रीवा – 28
पन्ना – 35
शहडोल – 39
सिंगरौली – 43
अनूपपुर – 59