– सीवरेज भी समस्या बन गया
शहर में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट के कार्य की वजह से कई मोहल्ले प्रभावित हैं। कुछ दिन पहले ही इसी कार्य के चलते एक श्रमिक की मौत भी हो चुकी है। कंपनी द्वारा सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है। ठेका कंपनी केके स्पन ने मोहल्लों में कच्ची सड़कें छोड़ दी हैं। कांक्रीट की सड़कों को खोदकर उसमें मिट्टी का ढेर लगा दिया गया है। कई मोहल्लों में तो इसकी वजह से पानी की निकासी भी प्रभावित हो रही है।
– ये नाले बनते हैं शहर में बाढ़ की प्रमुख वजह
शहर में बीहर और बिछिया नदियों में पानी बढऩे के साथ ही कई नाले हैं जो परेशानी का कारण बनते हैं। इसमें प्रमुख रूप से अमहिया नाला जो फूलमती मंदिर से बीहर नदी तक है, दीनदयाल कालोनी का नाला, बोदाबाग, बजरंग नगर गेट से झिरिया तक, खुटेही से सिरमौर चौक तक, स्वयंवर विवाह घर से जानटावर तक, घोघर, गुरुद्वारा से झिरिया तक, विकास कालोनी से रसिया मोहल्ला तक, रानीतालाब बस्ती से सिंधियान पुलिया तक, चुनहाई कुंआ से निपनिया तक, मछरिया गेट से कोतवाली, झंकार टाकीज के सामने, एसएएफ चौराहा से भैरों मार्ग, नेहरू नगर से फूलमती मंदिर, इतवारिया नाला, चंदुआ नाला, धिरमा नाला, बिछिया से जगन्नाथ मंदिर का नाला, शिवनगर का बड़ा नाला आदि हैं।
शहर के नालों की समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संभागायुक्त को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें मांग उठाई गई है कि सिरमौर चौक से विश्वविद्यालय मार्ग का कार्य कई महीने से धीमी गति से चल रहा है। इसमें आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। मांग उठाई गई है कि जिन १४ नालों का रेड जोन चिन्हित कर उसमें जमे अतिक्रमण को हटाने की तैयारी की गई थी, उस पर कार्रवाई होना चाहिए। ज्ञापन में शहर के भीतर पूर्व में आई बाढ़ एवं जलभराव की घटनाओं का हवाला भी दिया गया है।