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लगातार बारिश से शहर में जलभराव का खतरा, नालों का नहीं हटा पाया प्रशासन अतिक्रमण

locationरीवाPublished: Aug 20, 2019 12:51:06 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– तीन साल पहले आई बाढ़ के बाद भी नहीं लिया सबक- शहर के 22 नालों में अतिक्रमण किया गया है चिन्हित, कार्रवाई में हीलाहवाली

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रीवा। शहर में बरसात का दौर लगातार जारी है। बारिश के पानी की निकासी के लिए इंतजाम नहीं किए गए हैं जिसकी वजह से शहर के कई मोहल्लों में इससे लोगों को परेशानी हो रही है।
बीते तीन वर्ष पहले शहर में बीहर नदी का जलस्तर बढऩे से शहर के कई हिस्सों में बाढ़ आई थी। नालों का पानी बहाव रुक गया था। उसके बाद शहर के प्रमुख नालों का रेड जोन एरिया चिन्हित किया गया था। इस पर कार्रवाई के लिए निगम प्रशासन ने जिला प्रशासन के साथ कार्ययोजना बनाई थी। इसके बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसी समय कुछ स्थानों पर अमहिया नाले के किनारे बने नालों को गिराया गया था। इस साल भी बरसात की शुरुआत में कई मोहल्लों के लोगों ने शिकायत भी की थी कि जलभराव की समस्या के लिए नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शहर में अमृत योजना के तहत २२ करोड़ रुपए से स्टार्म वाटर ड्रेनेज का कार्य चल रहा है।
कई मोहल्लों में तो यह अधिक समस्या उत्पन्न कर रहा है। जिसमें प्रमुख रूप से नेहरू नगर, बोदाबाग, चिरहुला, रतहरा सहित कई मोहल्लों में अधूरा कार्य छोड़ दिया गया है, जिससे पानी का बहाव होने में दिक्कतें हो रही है। बीते सप्ताह पानी की निकासी नहीं होने के चलते लोगों प्रदर्शन किया था। नेहरू नगर में देर रात तक लोगों ने सड़क जाम किया था। ठेकेदार की मनमानी के खिलाफ लगातार शिकायतें की जाती रही हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

– सीवरेज भी समस्या बन गया
शहर में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट के कार्य की वजह से कई मोहल्ले प्रभावित हैं। कुछ दिन पहले ही इसी कार्य के चलते एक श्रमिक की मौत भी हो चुकी है। कंपनी द्वारा सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से समस्या उत्पन्न हो रही है। ठेका कंपनी केके स्पन ने मोहल्लों में कच्ची सड़कें छोड़ दी हैं। कांक्रीट की सड़कों को खोदकर उसमें मिट्टी का ढेर लगा दिया गया है। कई मोहल्लों में तो इसकी वजह से पानी की निकासी भी प्रभावित हो रही है।

– ये नाले बनते हैं शहर में बाढ़ की प्रमुख वजह
शहर में बीहर और बिछिया नदियों में पानी बढऩे के साथ ही कई नाले हैं जो परेशानी का कारण बनते हैं। इसमें प्रमुख रूप से अमहिया नाला जो फूलमती मंदिर से बीहर नदी तक है, दीनदयाल कालोनी का नाला, बोदाबाग, बजरंग नगर गेट से झिरिया तक, खुटेही से सिरमौर चौक तक, स्वयंवर विवाह घर से जानटावर तक, घोघर, गुरुद्वारा से झिरिया तक, विकास कालोनी से रसिया मोहल्ला तक, रानीतालाब बस्ती से सिंधियान पुलिया तक, चुनहाई कुंआ से निपनिया तक, मछरिया गेट से कोतवाली, झंकार टाकीज के सामने, एसएएफ चौराहा से भैरों मार्ग, नेहरू नगर से फूलमती मंदिर, इतवारिया नाला, चंदुआ नाला, धिरमा नाला, बिछिया से जगन्नाथ मंदिर का नाला, शिवनगर का बड़ा नाला आदि हैं।
– संभागायुक्त से की गई शिकायत
शहर के नालों की समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संभागायुक्त को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें मांग उठाई गई है कि सिरमौर चौक से विश्वविद्यालय मार्ग का कार्य कई महीने से धीमी गति से चल रहा है। इसमें आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। मांग उठाई गई है कि जिन १४ नालों का रेड जोन चिन्हित कर उसमें जमे अतिक्रमण को हटाने की तैयारी की गई थी, उस पर कार्रवाई होना चाहिए। ज्ञापन में शहर के भीतर पूर्व में आई बाढ़ एवं जलभराव की घटनाओं का हवाला भी दिया गया है।
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