गत दिवस सहकारिता के प्रमुख सचिव रीवा आए थे, उनके सामने भी इस तरह की बातें आई थी। जिसके चलते अपेक्स बैंक का अधिकारी भेजने के लिए कहा था। भोपाल से अपेक्स बैंक के अधिकारी आरएस चंदेल रीवा पहुंचे और सहकारी बैंक की हेड आफिस में बैंक सीइओ एवं अधिकारियों के साथ चर्चा की। बैंक अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई है और कहा गया है कि रेकांसिलेशन(मिलान) का कार्य चल रहा है।
बताया गया है कि बैंक की हेड आफिस में सभी ब्रांचों के नाम पर अलग से खाता होता है, इसी तरह ब्रांचों में भी हेड आफिस के नाम पर खाता होता है। दोनों के बीच हुए लेनदेन का हिसाब इन्हीं में होता है। समय-समय पर अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा भी की जाती है ताकि कोई कमियां हों तो उन्हें सुधारा जा सके। अब अपेक्स बैंक के अधिकारी की देखरेख में इन खातों का मिलान होगा। इसके बाद ही तय हो पाएगा कि इसमें विसंगतियां हैं या फिर केलव लापरवाही थी। करीब 26 करोड़ से अधिक का घपला पहले हो चुका है, जिसकी जांच भी की जा रही है।
टीम गठित की लेकिन नहीं किया परीक्षण
वित्तीय वर्ष समाप्ति से कुछ महीने पहले ही इस तरह की बात बैंक के अधिकारियों के सामने आई थी कि खातों के लेनदेन का हिसाब नहीं मिल रहा है। इसे रूटीन की प्रक्रिया माना गया फिर भी एक जांच टीम गठित की गई, जिसे निर्देशित किया गया था कि सभी 21 ब्रांचों के लेनदेन का हिसाब देखेगी लेकिन यह टीम अपना कार्य नहीं कर पाई। जिसकी वजह से अब विसंगति का मामला सामने आ रहा है और भोपाल से अधिकारी भेजना पड़ा है।
लाइसेंस निरस्तगी का मंडरा रहा खतरा
धारा 11 के दायरे में आने के चलते पहले से वित्तीय संकट का सामना कर रहे जिला सहकारी बैंक के सामने अब लाइसेंस निरस्तगी का खतरा मंडराने लगा है। नाबार्ड ने वित्तीय सहायता पहले ही रोक रखी थी, अब नोटिस जारी कर एक अवसर दिया है कि पांच महीने के भीतर सारी व्यवस्थाएं दुरस्थ कर ली जाएं, अन्यथा बैंकिंग से जुड़ा लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
सहकारी बैंक पहले सोसायटी एक्ट के तहत कार्य कर रहा था, वर्ष 2013 से आरबीआइ एक्ट के तहत कार्य करने लगा है। इस साल प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी की पूरी राशि किसानों के भुगतान करने का निर्देश दिया है, पूर्व में कर्ज की राशि काटी जा रही थी। इस कारण वसूली की स्थिति काफी कमजोर है। जिसके चलतेनाबार्ड ने नोटिस जारी की है। कहा गया है कि प्लान तैयार कर वसूली बढ़ाएं और रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बैंक के पास अभी अवसर है, प्रबंधन का दावा है कि किसान कर्जमाफी के ५० करोड़ प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए हैं, जिससे वित्तीय संकट समाप्त हो जाएगा और लाइसेंस का कोई खतरा नहीं रहेगा।
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आंकड़े के मिलान का कार्य किया जा रहा है, इसमें कोई विसंगति जैसी बात नहीं है। इसे रूटीन का कार्य माना जाए। लाइसेंस संबंधी नोटिस अभी हमारे पास नहीं आई है। यदि नोटिस मिलती भी है तो बैंक को कोई खतरा नहीं है। पहले से बेहतर स्थिति में बैंक है। धारा 11 के दायरे से भी बाहर आने की संभावना है।
आरएस भदौरिया, सीइओ जिला सहकारी बैंक