इस तीसरे चरण के अभियान के लिए जिला स्तर पर तैनात विभिन्न विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। पोषण पुनर्वास केंद्र में 220 स्थानों के सापेक्ष 302 बच्चों को भर्ती किया गया है। स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर आमजन के सहयोग से शिशुओं का पोषण स्तर बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। तीसरे चरण अभियान के संबंध में कलेक्टर ने कहा कि हम सबको मिलकर रीवा जिले से कुपोषण का कलंक मिटाना है।
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने बताया कि कम पोषित बच्चों का पोषण स्तर सुधारने के लिए नवजीवन अभियान चलाया जा रहा है। इसके दो चरणों में 174 बच्चों अति कुपोषित से कुपोषित की श्रेणी में तथा 417 बच्चों कुपोषित से सामान्य वजन की श्रेणी में आए हैं। अभियान के दौरान फरवरी माह में 883 बच्चों कुपोषित चिन्हित किए गए हैं। सितंबर से फरवरी तक 5003 बच्चों के वजन में सुधार हुआ है। यह वृद्धि 34 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि नवजीवन अभियान से उत्साह जनक परिणाम निकले हैं। सभी बीएमओ तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी नव जीवन अभियान से लाभान्वित बच्चों का फालोअप करें। नव जीवन अभियान के दौरान चिन्हित बीमार बच्चों के उपचार की तत्काल व्यवस्था संबंधित बीएमओ करें। कलेक्टर ने कहा कि शिशुओं का कुपोषण दूर करने, शिशु तथा मातृ मृत्यु दर पर नियंत्रण करने के लिए समाज को जागरूक करना आवश्यक है। सामुदाय की भागीदारी के बिना विभागीय प्रयासों को सफलता नही मिलेगी।
कलेक्टर ने कहा कि नव जीवन अभियान के तहत चिन्हित सभी कम पोषित बच्चों को पोषण कार्ड दिया गया है। इसमें आवश्यक प्रविष्टि कराएं। उन्होंने बताया कि जिले में 15 फरवरी से दस्तक अभियान भी शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि दस्तक अभियान के दौरान कम पोषित बच्चों को आयरन की दवा के साथ मल्टी विटामिन तथा विटामिन सी अनिवार्य रूप से प्रदान की जाए। कलेक्टर ने कम पोषित बच्चों के परिवारों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने तथा उपचार के लिए आयुष्मान कार्ड बनाने के निर्देश दिए।