यह धान तौल के बाद रखी गई थी। लगातार किसानों को आश्वासन दिया जाता रहा कि पोर्टल पर इसे दर्ज करने के बाद राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। धान वहीं बाहर खुले में ही पड़ी रही। किसानों का आरोप है कि बीते तीन जून को समिति प्रबंधक झल्लू पाठक, सेल्समैन गुड्डू तिवारी, अमित मिश्रा आदि ने उक्त धान को व्यापारियों को बेच दिया।
इसकी जानकारी किसानों को नहीं दी गई। जब व्यापारी द्वारा धान का उठाव किया जाने लगा तो किसानों को जानकारी हुई तो वहां पर पहुंचे। पता किया तो पहले यह कहा जाता रहा कि शासन स्तर पर यह कार्य हो रहा है लेकिन जब बाद में यह जानकारी मिली कि यह तो व्यापारियों को बेचा गया है किसानों ने विरोध भी दर्ज कराया।
किसानों ने बताया कि समिति की ओर से अपने वारदाने पर धान रखी गई थी और उसे आधिकारिक तौर पर खरीदी पोर्टल पर दर्ज नहीं कराया। इसी बीच खरीद की तिथि भी चली गई और लगातार आश्वासन मिलता रहा कि किसानों को रुपए दिए जाएंगे। शिकायत लेकर पहुंचे किसानों में ललित मिश्रा, शिवकुमार, रवि तिवारी, यश तिवारी, दिगंबरनाथ झा, लालजी मिश्रा, अरुण, वीरेन्द्र के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी भी मौजूद रहे।