आंदोलनकारी कर्मचारियों की मांग है कि मंडी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान जिला कोषागार से किया जाए। साथ ही मंडी में लगने वाले शुल्क को समाप्त किया जाए ताकि मंडी में काम करने वाले हम्माल, पल्लेदार सहित अन्य कर्मचरियों का रोजगार समाप्त न हो। उनका कहना था कि मंडी का बजूद किसानों से है।
कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला कहा कि गलत नीतियों के चलते किसान मंडी में पहुंचने की बजाय सीधे व्यापारियों के यहां पहुंच रहे हैं। इससे मंडी का अस्तित्व जहां संकट में है। मौजूदा हालात में मंडी में कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य भी अंधकारमय दिखने लगा है।
आंदोलनकारियों ने कहा कि सरकार ने पहले ही मंडी बोर्ड पर कैंची चला रखी है। विपणन बोर्ड का गठन करके मंडी बोर्ड के कार्यों को प्रभावित किया गया। सरकार मंडी की नीति में परिवर्तन नहीं करेगी तो इससे आने वाले समय में मंडी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मान लेती आंदोलन जारी रहेगा।