scriptरीवा-हनुमना फोरलेन सड़क में गायब राइडिंग क्लालिटी, पैंच वर्क व डामर हम्म से पटी सड़क | Rewa-Hanumna Fourlane road missing road riding in rewa, rewa news | Patrika News

रीवा-हनुमना फोरलेन सड़क में गायब राइडिंग क्लालिटी, पैंच वर्क व डामर हम्म से पटी सड़क

locationरीवाPublished: Jan 20, 2020 12:49:01 pm

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रीवा-हनुमना फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग में पांच हजार से अधिक पैच वर्क व डामर हम्म (डामर का उभार हुआ भाग) से वाहन हिचकोले खा रहे हैं। सड़क में राइडिंग क्वालिटी बेहद खराब है, इसके बावजूद कंपनी टोल वसूल रही है। इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी जिस विभाग पर है वह चुप है। कलेक्टर बंसत कुर्रे ने रीवा-हनुमना सड़क में रेफनेंस को देखते हुए गहरी नाराजगी जताई है

रीवा। रीवा-हनुमना फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग में पांच हजार से अधिक पैच वर्क व डामर हम्म (डामर का उभार हुआ भाग) से वाहन हिचकोले खा रहे हैं। सड़क में राइडिंग क्वालिटी बेहद खराब है, इसके बावजूद कंपनी टोल वसूल रही है। इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी जिस विभाग पर है वह चुप है। कलेक्टर बंसत कुर्रे ने रीवा-हनुमना सड़क में रेफनेंस को देखते हुए गहरी नाराजगी जताई है और एमपीआरडीसी के अधिकारियों को क्वालिटी सुधारने का आदेश दिया है।
रीवा से हनुमना फोरलेन सड़क मार्ग का निर्माण वर्ष 2015 में हुआ था। इसके बाद सड़क में वाहन के चलने से दस एमएम तक से अधिक सड़क धंसक चुकी है। इसके लिए कंपनी सड़क में लगातार पैंच वर्क लगा रही है। सड़कों की क्षमता से अधिक पैंच वर्क लगाने के कारण राइडिंग क्वालिटी नहीं मिल रही है। इस क्वालिटी के लिए कंपनी प्रतिमाह होने वाले रेफनेंस टेस्ट व व्हीआरडी टेस्ट (व्हीकल रोड डिफलेंक्शन टेस्ट) नहीं कर रही है। जबकि अनुबंध की शर्तों के तहत प्रतिवर्ष यह दोनों टेस्ट करना अनिवार्य है। इतना ही नहीं कंपनी के अधिकारियों को प्रतिमाह रोड का निरीक्षण भी करना है लेकिन इसमें भी विभाग के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। यही कारण है कि सड़कों से राइडिंग क्वालिटी गायब है। जबकि कंपनी अनुबंध की शर्तों के तहत पिछले पांच सालों से लगातार टोल वसूल कर रही है, साथ ही 10 प्रतिशत टोल बढ़ा रही है।
व्हीआरडी टेस्ट बताता है सड़क की क्वालिटी-
व्हीकल रोड डिफलेक्सन टेस्ट प्रतिवर्ष करना अनिवार्य रहता है। इसके लिए कंपनी को प्रतिवर्ष एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। इसके बाद कंपनी पूरी रोड में डॉयल गेज लगाकर सड़क में चलने वाले वाहनों के आधार पर टेस्ट करती है। इसमें सड़क कितनी कहां दबी है रिपोर्ट में खुलासा होता है। लेकिन यह टेस्ट कंपनी द्वारा नहीं कराया गया है। इसके बावजूद लगातार टोल वसूला जा रहा है।
नहीं प्रस्तुत कर पाए रिपोर्ट
एमपीआरडीसी के अधिकारियों को सूचना के अधिकार के तहत व्हीआरडी टेस्ट की कॉपी मांगी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत की है। 2018 में इसके लिए एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इसका टेस्ट नहीं हो पाया है।

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