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Old Tales Madhya Pradesh: जब अर्जुन सिंह सहित 6 प्रत्याशियों को पंजा की जगह मिला था रेलगाड़ी चुनाव चिन्ह

– भारत निर्वाचन आयोग तक पहुंची शिकायत के बाद हुआ था सुधार, अर्जुन सिंह सहित कई बड़े नेता थे इसमें शामिल

रीवाNov 06, 2018 / 02:41 pm

Mrigendra Singh

rewa ; mp vidhanasabha election

मृगेन्द्र सिंह, रीवा। बात 1980 के मध्यावधि चुनाव की है। तब के नेता विपक्ष रहे अर्जुन सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा था। पार्टी के भीतर गुटबाजी ने ऐसा जोर पकड़ा कि उन्हीं के चुनाव चिन्ह में पेंच फंस गया। सीधी जिले के सभी छह प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का आवंटन पार्टी की ओर से समय पर नहीं पहुंचा तो जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी मानते हुए रेलगाड़ी का चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया। नौ राज्यों में हो रहे उस चुनाव में यह घटनाक्रम सुर्खियों में आ गया। इधर चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी परेशान थे।
इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग को की गई, जहां से मामला नहीं सुलझा तो केन्द्रीय निर्वाचन आयोग तक बात पहुंची। कई दिनों तक प्रत्याशियों के सामने असमंजस की स्थिति बन गई। वह प्रचार के लिए नहीं निकल पा रहे थे। कुछ प्रत्याशियों ने बुलेटिन भी छपवा लिया था। वहीं विपक्ष की ओर से यह प्रचारित किया गया कि कांग्रेस पार्टी यहां के सभी प्रत्याशियों से नाराज है, इसलिए ऐसा किया गया है।
सप्ताह भर के भीतर ही केन्द्रीय निर्वाचन आयोग की ओर से आदेश जारी किया गया कि सीधी जिले के सभी छह उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह रेलगाड़ी की जगह पंजा आवंटित किया जाए। इस घटनाक्रम का शिकार अर्जुन सिंह भी हुए और उन्हें भी रेलगाड़ी चिन्ह मिला था। वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेश सिंह गहरवार बताते हैं कि उस समय कुंवर अर्जुन सिंह और विद्याचरण शुक्ला दोनों मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे।
आंतरिक विरोध की वजह से ही चुनाव चिन्ह पर पेंच फंसा। उस दौरान एआइसीसी के महासचिव बूटा सिंह, जीके मूपनार, एआर अंतुले मध्यप्रदेश के चुनाव की निगरानी कर रहे थे। पार्टी की ओर से एआर अंतुले चुनाव चिन्ह आवंटित कर रहे थे। अर्जुन सिंह के समर्थकों ने उस दौरान आरोप लगाया था कि विद्याचरण और अंतुले ने जानबूझकर ऐसा किया है। इंदिरा गांधी भी इस मामले को लेकर नाराज हुई थी और विधायकों का अधिक विद्याचरण के साथ होने के बावजूद उन्होंने अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया था। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने विद्याचरण को केन्द्र में बुला लिया।
सभी को मिली थी जीत
जिन प्रत्याशियों को रेलगाड़ी का चुनाव चिन्ह आवंटित हुआ था उसमें चुरहट से अर्जुन सिंह चुनाव लड़ रहे थे। इनके विरोध में जनता पार्टी के चंद्रप्रताप तिवारी थे। बाद में पंजा चिन्ह आवंटित होने के बाद सभी सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते। जिसमें सीधी से इंद्रजीत पटेल, धौहनी जगवा देवी, गोपद बनास से कमलेश्वर द्विवेदी, देवसर से पतिराज सिंह, सिंगरौली से वंशमणि वर्मा आदि भारी वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे।
उसी चुनाव के बाद सीएम बने थे अर्जुन सिंह
कुंवर अर्जुन सिंह उसी चुनाव के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए थे। उनदिनों इंदिरागांधी और उनके पुत्र संजयगांधी की पहली पसंद थे। उस दौरान स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई नेता उनका पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे थे। वहीं से उन्होंने राजनीति की बारीकियां सीखी और सबको एक-एक कर धरासाई करते गए। उनका मुकाबला करने वाला कोई भी नेता उनसे आगे नहीं बढ़ पाया। इसी के चलते उन्हें राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता था।

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