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सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल भवन तैयार, डॉक्टर मिलें तो शुरू हो मरीजों का इलाज

locationरीवाPublished: Aug 10, 2020 03:30:01 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-डॉक्टरों के 90 पद के सापेक्ष 11 की ही हो सकी है नियुक्ति-पैरामेडिकल स्टॉफ भी पूरे नहीं-मरीजों को जाना पड़ता है दूसरे राज्य में

अस्पताल (प्रतीकात्मक फोटो)

अस्पताल (प्रतीकात्मक फोटो)

रीवा. प्रदेश के कमिश्नी हेडक्वार्टर का ये हाल है कि यहां के मरीजों को इलाज के लिए यूपी के प्रयागराज तक जाना पड़ता है। इस कोरोना काल में भी कई मामले ऐसे सामने आए हैं जब रीवां और आसपास के लोगों को प्रयागराज या जबलपुर जा कर इलाज कराना पड़ा। दरअसल यहां फिलहाल कोई ऐसा बड़ा आधुनिक अस्पताल ही नहीं है। इस कमी को दूर करने के लिए एक सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया। हॉस्पिटल तो बन कर तैयार हो गया। लेकिन अस्पताल के लिए डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ हों तो यहां सही ढंग से इलाज शुरू हो पाए।
बताते हैं कि इस अस्पताल के लिए 90 डॉक्टरों के पद सृजित किए गए हैं। इसके सापेक्ष अब तक महज 11 डॉक्टरों की नियुक्त ही हो पाई है। कमोबेश यही हाल पैरामेडिकल स्टॉफ को लेकर है। अब डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ ही नहीं तो मरीज भला यहां क्या करने आएं। हालांकि प्रशासन ने ओपीडी को चालू करा दी है। लेकिन बताया जा रहा है कि मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।
बताया यह गया था कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कॉर्डियोलॉजी, सीटीवीएस, न्यूयोनेटोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जन, नेफ्रोलॉजी एवं यूरोलॉजी संबंधित स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी। अस्पताल की प्रत्येक मंजिल में अलग- अलग सुविधाएं बनाई जाएंगी। भू-तल में जहां ओपीडी पार्ट-1 में होगा व पार्ट-2 में डाग्यनोस्टिक विभाग होगा। पहली मंजिल में न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी व नेफ्रोलॉजी पार्ट-ए में होगा। जबकि पार्ट-बी में नेफ्रोलॉजी के 22 बेड होंगे। दूसरी मंजिल के पार्ट-ए में कार्डियोलॉजी के 22 बेड होंगे। जबकि पार्ट-बी में न्यूरोलॉजी के 22 बेड, इसी तरह तीसरी मंजिल के पार्ट- ए में न्यूरोसर्जरी के 22 बेड व पार्ट-बी में यूरोलॉजी 22 बेड लगाए जाएंगे। इसी तरह चौथी मंजिल में आईसीयू के 10 बेड व पार्ट-बी में आईसीयूएस के 20 बेड होंगे। भवन की पांचवीं मंजिल में ओटी-3 प्लस कैथलैब होगा। इसके साथ ही सर्विस ब्लाक में किचन, लांड्री होगी। इसके साथ ही भवन के खाली पड़े स्थानों को हरा-भरा करने के लिए पेड़ पौधे लगाने के साथ ही पार्क बनाकर परिसर को सुंदर बनाया जाएगा।
पीएमएसएसवाई योजना के तहत बनने वाले इस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के भवन निर्माण की लागत 150 करोड़ रुपये है। हॉस्पिटल परिसर 36 सौ स्क्वायर मीटर में है। यह अस्पताल 6 मंजिला है। अस्पताल की कुल लागत में से 120 करोड़ भारत सरकार और 30 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने राशि दी है। अस्पताल में 204 बेड हैं। साथ ही इसमें अत्याधुनिक मशीनें लगाई जानी हैं। केंद्र व राज्य सरकार से अस्पताल के लिए जारी धनराशि में से 67 करोड़ भवन के निर्माण कार्य में तथा शेष राशि इक्यूपमेंट एवं अन्य एसेसरीज में खर्च करने का लगाने का प्रावधान रहा।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि फिलहाल दो विभाग की ओपीडी चालू की जा रही है। इसके तहत पहले चरण में यूरोलॉजी तथा न्यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी शुरू होने जा रही है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का तर्क है कि अन्य विभाग के लिए डॉक्टर की कमी बड़ी व प्रमुख समस्या है। लेकिन इसके लिए अपेक्षित डॉक्टर ही नहीं मिल रहे हैं। यहां को आना नहीं चाह रहा है। वजह ये कि जिले में हवाई सेवा की सुविधा नहीं है। ऐसे में बंगलूरू, मुंबई सहित बड़े शहरों के नामचीन डॉक्टर जो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अपनी सेवा दे सकते हैं वो यहां आना नहीं चाहते। जिले के चिकित्सा सेवा से जुड़े दिग्गजों ने सलाह दी है कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि रीवा में हवाई सेवा की सुविधा मुहैया कराए ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिल सके।
“अस्पताल में डॉक्टरों की भर्ती न हो पाने के कारण अन्य स्टाफ की भर्ती भी नहीं की गई है। कारण यह कि डॉक्टरों के बिना अस्पताल चालू नहीं हो पाएगा और अन्य स्टाफ के लिए कोई काम नहीं है। ऐसे में महज आर्थिक बोझ भर बढ़ेगा।”-डॉ. अतुल सिंह सीएमओं एसजीएमएच।

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