रीवा से उठी आवाज, पुरानी किताबों का करिए दान
नेकी की दीवार: जीएमएच के शिशु रोग विभाग की पहल, गरीब बच्चों को बांटी जाएंगी किताबें

रीवा। बहुत से गरीब बच्चे इसलिए नहीं पढ़ पाते क्योंकि उनके पास किताबें नहीं होती। किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे गरीब बच्चे पढ़कर विकास कर सकें। इस उद्देश्य के साथ नेकी की दीवार के तहत पुरानी किताबों को दान करने की पहल गांधी स्मारक चिकित्सालय के डॉक्टरों ने की है।
इसके लिए गांधी स्मारक चिकित्सालय में गांधी प्रतिमा के पास दो बॉक्स रखे गए हैं। जिसमें बकायदा लिखा गया है कि खिलौने, किताब जो आपके काम के नहीं उन्हें यहां दान करिए। गरीब बच्चे उनसे खेलकर, पढ़कर चढ़ेंगे विकास के नए पायदान। अपने पुराने जूते दान करिए और किसी गरीब का मन खुशियों से भर दीजिए। यह पहल शिशु रोग विभाग की ओर से की गई है। विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योती सिंह ने कहा कि यह प्लान बनाया गया है कि जो किताबें, खिलौने एकत्र होंगे उन्हें गरीब बच्चों को बांट दिया जाएगा। पीजी स्टूडेेंट्स डॉ. हरिनारायण तिवारी ने बॉक्स रखवाए हैं। इन बॉक्स में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक कोई भी व्यक्ति पुरानी किताबें, खिलौने और पुराने कपड़े, जूते दान कर सकता है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह नेकी की दीवार का ही दूसरा संकल्प है।
नेकी की दीवार से बदलाव
नेकी की दीवार के तहत पहले से पुराने कपड़े एकत्र किए जा रहे हैं। जिसका परिणाम सकारात्मक रहा है। कई लोगों ने बॉक्स में खिलौने दान किए हैं। जो कुपोषण इकाई में भर्ती गरीब बच्चों को वितरित किए गए हैं। अस्पताल में बॉक्स रखने को लेकर कहा कि यहां पूरे विंध्य से लोग आते हैं। समाज में यह संदेश भी देना है लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करना है। नेक कार्य से गरीब बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है।
पुस्तकालय भी खुलेंगे
पुरानी किताबों को लेकर गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए डॉ. राकेश पटेल टीच टू इच के तहत पुस्तकालय भी खोलने जा रहे हैं। जहां पर गरीब बच्चे नि:शुल्क शिक्षा लेने के साथ किताबें भी पढऩे के लिए प्राप्त कर सकेंगे। जो किताबें लोग दान करेंगे उन्हीं से गरीबों के बच्चे अपना सुनहरा भविष्य बन सकेंगे। रेडक्रॉस सोसायटी भी लाइब्रेरी खोलने पर विचार कर रही है।
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