रीवा

कूट रचना कर भरे तालाब भूमि की कराई गई थी रजिस्ट्री, नामांतरण रोका

– तहसीलदार ने नामांतरण का आवेदन निरस्त करते हुए माना व्यापक रूप से हुआ फर्जीवाड़ा- सगरा में तालाब भूमि की रजिस्ट्री कराए जाने का मामला

रीवाApr 16, 2021 / 11:22 am

Mrigendra Singh

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रीवा। भू-माफिया के विरुद्ध चल रही कार्रवाई के बीच प्रशासन ने एक और तालाब भूमि को कब्जाने के प्रयास पर रोक लगाई है। शिकायत मिलने के बाद तहसीलदार ने भूमि का नामांतरण रोक दिया है और आदेश में कहा है कि कूटरचना का सहारा लेकर पानी भरे तालाब की भूमि की रजिस्ट्री कराई गई थी।
यह मामला सगरा के शासकीय तालाब का है, जहां पर एक भाजपा नेता द्वारा सत्ता का दुरुपयोग कर तालाब की भूमि कब्जाने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था। बताया गया है कि हुजूर तहसीलदार ने नामांतरण पर रोक लगाते हुए इस प्रकरण को गंभीर माना है। इस मामले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने बीते साल की थी।
जिस पर आरोप था कि सगरा में स्थित 3.871 हेक्टेयर भूमि के तालाब भूमि की रजिस्ट्री फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई है। जिसे प्राइवेट और सिंचित भूमि बताया गया, वहां पर अब भी तालाब मौजूद है और उसमें पानी भी भरा हुआ है। भूमि की रजिस्ट्री कराने के दौरान पटवारी का फर्जीरूप से प्रतिवेदन भी दिया गया था।
रजिस्ट्री के बाद भूमि के क्रेता जगदीश प्रसाद शुक्ला निवासी गायत्री नगर रीवा ने उक्त तालाब की भूमि को खरीदने का दावा करते हुए नामांतरण के लिए आवेदन किया था। जिस पर शिकायत मिलने के चलते हुजूर तहसीलदार ने पटवारी से प्रतिवेदन तलब किया। जिसके बाद सारे तथ्य खुलकर सामने आए हैं।
इसलिए तहसीलदार ने चार किता भूमि 1.336 हेक्टेयर के नामांतरण का आवेदन निरस्त करते हुए प्रकरण डिस्पोज करने का आदेश जारी किया है। जानकारी मिली है कि भूमि क्रेता का पुत्र जो इस मामले में गवाह है, वह भाजपा से जुड़ा है, जिसकी वजह से प्रशासन पर भी दबाव बनाए जाने का आरोप शिकायतकर्ता की ओर से सामने आया है।

– इलेक्ट्रानिक विधि से की गई छेड़छाड़
शिकायत के आरोपों की जांच के बाद प्रशासन ने भी माना है कि इ-रजिस्ट्री के दौरान भूमि के दस्तावेजों में इलेक्ट्रानिक विधि से छेड़छाड़ की गई थी। तहसीलदार के आदेश में कहा गया है कि खसरे के कालम नंबर दस में दर्ज टीला, मेड़, तालाब, जलाशय, भू-जल की जानकारी को खसरे में इडिट कर या छुपा कर एवं ऋणपुस्तिका से भी उपरोक्त तथ्यों की जानकारी हटाकर फर्जी पटवारी प्रतिवेदन लगाया गया था। मौके पर अब भी तालाब और मेड़ मौजूद हैं। शिकायत में भूमि विक्रेताओं के साथ खरीददार, रजिस्ट्री करने वाले उप पंजीयक एवं इ-रजिस्ट्री के सेवा प्रदाता आदि पर मिलीभगत के आरोप थे। सभी पर कार्रवाई की मांग की गई है।
– कलेक्टर के पास भी जांच लंबित
तालाब की भूमि को माफिया द्वारा कब्जाने के प्रयास की शिकायत पर संभागायुक्त कार्यालय ने कलेक्टर को जांच की जिम्मेदारी दी है। जिस पर प्रतिवेदन अभी नहीं सौंपा गया है। तहसीलदार ने भी अपने आदेश में इसका उल्लेख किया है कि जांच विचाराधीन है। अब नामांतरण निरस्त करने पर शिकायतकर्ता बीके माला ने कूट रचना में शामिल सभी लोगों पर एफआइआर दर्ज करने की मांग की है।

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