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पेट्रोल-डीजल बढऩे से किराया बढ़ा
शहर के अधिकांश स्कूलों में ऑटो और वैन से ही बच्चे स्कूल तक पहुंचते हैं। कुछ ही ऐसे स्कूल हैं जिनका स्वयं का वाहन है। पिछले सत्र के मुकाबले इस बार ट्रांसपोर्टेशन भी 15 से 20 प्रतिशत तक महंगा पडऩे वाला है। स्कूल वैन के चालक कमलेश नामदेव ने बताया कि डीजल के दाम काफी अधिक बढ़ चुके हैं। ऐसे में किराया तो निश्चित ही बढ़ेगा, अधिकांश बच्चों का महीने का किराया 100 से 200 रुपए तक बढ़ाया गया है। ऑटो संतोष ने बताया कि ऑटो से जिन बच्चों को नियमित लाते हैं, नए सत्र से किराया बढ़ाया जाएगा। अधिकांश अभिभावक पुराना दाम ही चाहते हैं लेकिन जिस तरह से ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं, उससे किराए में बढ़ोत्तरी करनी पड़ेगी। वहीं कई अभिभावकों ने बताया कि जहां पर स्कूलों की स्वयं की बसें या वैन हैं, वह इस साल किराया बढ़ाने की बात कर रहे हैं।
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यूनिफॉर्म के दाम व्यापारियों ने बढ़ाए
स्कूल यूनिफॉर्म बेचने वाले दुकानदारों ने बढ़ती महंगाई का फायदा उठाते हुए स्वयं ही कपड़ों के दाम बढ़ा लिए हैं। उनका तर्क होता है कि सब चीजें महंगी हो चुकी हैं। पहले यूनिफॉर्म बनाने में लगने वाला जो कपड़ा ५५ रुपए मीटर आता था वो अब ७५ रुपए मीटर पर जा चुका है। ऐसे में यूनिफॉर्म के दाम में वर्ष 2020 की तुलना में इस बार 20 से 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एक सेट यूनिफॉर्म में एक शर्ट, पेंट, मोजा, टाइ और बेल्ट शामिल रहते हैं। इसके लिए 1200 से 1500 रुपए तक चुकाना पड़ रहे हैं। वहीं बड़ी कक्षाओं के बच्चों का पूरा सेट करीब ढाई से तीन हजार रुपए तक में पड़ रहा है।
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किताबें 30 प्रतिशत तक महंगी, कॉपियों की कीमत बढ़ी इस साल कागज के दाम काफी अधिक हो चुके हैं। ऐसे में निजी पब्लिशर्स ने भी किताबों के दाम बढ़ा दिए हैं। पुस्तक कारोबारियों का कहना है कि कागज के दाम 30 से 35 फीसदी बढ़ चुके हैं। इस वर्ष निजी पब्लिशर्स की किताबें 30 फीसदी तक महंगी हो चुकी है। ऐसे में कई लोग पुरानी किताबों से भी काम चला रहे हैं। पहले किताबों का जो सेट एक हजार रुपए का था, अब वह 1200 रुपए से अधिक में मिल रहा है। इसी तरह से 172 पेज की जो कॉपी पहले 30 रुपए की थी, वो अब 35 से 40 रुपए की पड़ रही है। शहर के कुछ चिन्हित दुकानों से ही सभी प्रमुख स्कूलों से किताबें खरीदी जा रही हैं। इसके लिए स्कूलों ने अभिभावकों को दुकानों के नाम बता रखे हैं। दूसरी दुकानों में पब्लिशर्स दूसरे होते हैं, जिससे स्कूलें संबंधित अभिभावकों को पुस्तकें बदलने का दबाव बनाते हैं।
---------- सीएम राइज स्कूलें एक अप्रेल से नहीं खुलीं
सरकार का दावा था कि एक अप्रेल से रीवा जिले में १२ सीएम राइज स्कूलों में कक्षाएं प्रारंभ हो जाएंगी। अभी इन स्कूलों का शुभारंभ ही नहीं हुआ हैं। शहर के पीके स्कूल को भी सीएम राइज स्कूल बनाया जाना है। अभी तक इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां ही नहीं हुई हैं। जिसकी वजह से माना जा रहा है कि जुलाई तक में शुरुआत हो पाएगी।