जबकि पिछले सत्रों में अगस्त-सितंबर महीने तक गणवेश मिल जाते थे। शत प्रतिशत भले ही न मिलते रहे हों लेकिन 80 फीसदी से ज्यादा छात्रों को गणवेश मिल जाता रहा है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने गणवेश तैयार करने का काम आजीविका मिशन को दिया। इसके लिए आजीविका मिशन को प्रति छात्र 600 रुपए राशि आवंटित की गई। महिला समूहों के माध्यम से गणवेश तैयार करने हैं। 15 अक्टूबर तक तैयार कर छात्र – छात्राओं को उपलब्ध करा देना था।
हालत यह है कि अभी तक गणेवश तैयार करने का काम नहीं शुरू हो पाया है। आजीविका मिशन को इस बावत मिला बजट डंप पड़ा हुआ है। समूहों के पास कपड़े तैयार करने आवश्यक उपकरण नहीं उपलब्ध हैं।
बताया जा रहा है कि जिले में ऐसी प्रशिक्षित महिला समूह भी नहीं है तो इतनी बड़ी मात्रा में कम समय में कपड़े तैयार कर सकें।
इससे पहले पिछले वर्षों में गणवेश की राशि छात्र – छात्राओं के खाते में दी जाती थी। प्रत्येक छात्र – छात्रा का बैंक में खाता खुला हुआ है। उसी खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाती थी जिससे छात्र के परिजन राशि निकालकर स्वत: बाजार से कपड़े खरीद लेते थे। छात्र – छात्राओं के खातें में अगस्त माह तक राशि ट्रांसफर कर दी जाती थी।
इस सत्र में छात्र – छात्राओं को सायकल एवं छात्रवृत्ति भी नहीं मिल पाई है। सायकल जिले में आ गई हैं लेकिन बंट नहीं पा रही हैं। चुनाव में व्यस्तता एवं अन्य कुछ वजहों से बच्चों को सायकल का वितरण नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा है चुनाव संपन्न होने के बाद ही यह कार्य शुरू होंगे। वहीं छात्रवृत्ति को लेकर भी दिक्कत बनी हुई है।
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पिछले वर्षों में छात्र – छात्राओं के खाते में गणवेश की राशि भेजी जाती थी। इस वर्ष बदलाव कर दिया गया है। अब आजीविका मिशन को गणवेश तैयार कर बच्चों को उपलब्ध कराना है। 15 अक्टूबर तक इस कार्य को पूरा करना था। अभी तक बच्चों को गणवेश नहीं मिल पाया है। आजीविका मिशन को प्रति छात्र – छात्राएं 600 रुपए की राशि आवंटित की गई है।
केपी तिवारी, डीपीसी रीवा