रीवा

‘ देखो दिल्ली के सरकारी स्कूल इतने अच्छे कैसे हो गए उनके पास भी यही सब व्यवस्था है ’

प्रदेश सरकार की अफसर ने रीवा में दिल्ली के स्कूलों को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया, प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था एवं स्कूलों के त्रैमासिक परीक्षा परिणाम पर जताई निराशा

रीवाDec 07, 2018 / 04:57 pm

Vedmani Dwivedi

School Education Commissioner Kiyawat interacted with principals

रीवा. स्कूल शिक्षा आयुक्त जयश्री कियावत ने गुरुवार को रीवा में आयोजित प्राचार्यों के संवाद कार्यक्रम में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की जमकर तारीफ की।

उन्होंने कहा कि, देखो दिल्ली के सरकारी स्कूल इतने अच्छे हो गए। कैसे हो गए? उनके पास भी यही सब व्यवस्था है। यही सब साधन है तो भी उन्होंने इतना सब कुछ कर लिया।

कियावत विभाग की योजनाओं की समीक्षा के सिलसिले में एक दिवसीय दौरे पर रीवा आई थीं। उन्होंने संभाग के चारों जिलों (रीवा,सीधी,सतना एवं सिंगरौली) के डीईओ, डीपीसी एवं अतिरिक्त शिक्षा संचालकों की बैठक ली। इस दौरा प्राचार्यों के साथ संवाद में उन्होंने दिल्ली के स्कूलों का उदाहरण दिया।

आयुक्त के साथ अपर संचालक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान कामना आचार्य, अतिरिक्त संचालक लोक शिक्षण डीएस कुशवाह, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण शीतांशु शुक्ल थे।

स्कूल में बच्चों की कम उपस्थिति पर प्राचार्यों को समझाइस देते हुए आयुक्त ने कहा, हमें बच्चों को जो परोसना है उसे रुचिकर बनाकर परोसना होगा। बच्चों का रुझान जानना चाहिए। आप स्कूल में पिक्चर लगा दो, उस दिन सब आएंगे। जैसे अभी हम यहां मीटिंग कर रहे हैं। इसके दो तरीके हो सकते हैं।

हम यहां खड़े होकर भाषण दें जैसा होता रहा। यहां बैठे आधे लोग सो जाएंगे। पढ़ाई को रुचिकर नहीं बनाएंगे तो फाइव स्टार होटल में बुलाएंगे तो भी बच्चे नहीं आएंगे। झाड़ के नीचे पढ़ाएंगे उन्हें रुचिकर लगेगा तो वहां भी आ आएंगे। प्रचार्यों से कहा, टीचर को भी मोटिवेट करना होगा। इंदौर में निरीक्षण के दौरान मैने देखा कि एक स्कूल में 12 बच्चे, एक में 25 बच्चे मिले। स्कूलों में बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थित दर्ज कराना बहुत जरूरी है।

आयुक्त ने प्राचार्यों से संवाद के दौरान कहा, जो पढ़े लिखे हैं वे देखते होंगे तो हमारे बारे में क्या सोचते होंगे। दुख की बात है कि नहीं? जब तक मन में यह भावना नहीं लाएंगें कि मेरे स्कूल के बच्चे मेरे बच्चे हैं। टीचर अच्छे से पढ़ा रहे हैं कि नहीं, यह आप (प्राचार्यों) को देखना है। आपने रिजल्द देखा। कितनी दुखद स्थिति है। हम अपनी भावी पीढ़ी को क्या दे रहे हैं?

आयुक्त ने प्राचार्यों से रेमेडियल (निदानात्मक) कक्षा में बारे में पूछा। एक प्राचार्य को खड़े होकर बताने को कहा गया तो वे सही जवाब नहीं दे पाए। पूछा कितने फीसदी पाठ्यक्रम रेमेडियल कक्षा में शामिल किया गया है। इसका जवाब भी ज्यादातर प्राचार्य नहीं दे पाए। कोई ८० फीसदी तो कोई ४० फीसदी बता रहा था। जबकि सही जवाब ६० से ६५ फीसदी है।

आयुक्त ने प्राचार्यों के सामने त्रैमासिक परीक्षा का परिणाम रखकर उन्हें आइना दिखाया। संभाग का त्रैमासिक परीक्षा परिणाम बेहद निराशा जनक है। ९वीं कक्षा में रीवा के करीब ६६ फीसदी बच्चे त्रैमासिक परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए। इसी प्रकार सतना में ६४, सीधी में ५६ एवं सिंगरौली में ४४ फीसदी बच्चे फेल हो गए। दसवीं कक्षा में रीवा में करीब ३४ फीसदी बच्चे ही उत्तीर्ण हो पाए। सतना में ३६ फीसदी, सीधी में ४३ फीसदी एवं सिंगरौली में ५० फीसदी के करीब बच्चे ही उत्तीर्ण हो पाए।

बैठक के दौरान यह बात सामने आई कि रीवा संभाग में ९ फीसदी बच्चे ही हाईस्कूल की कक्षाओं के लिए दक्ष पाए गए हैं। अंग्रेजी एवं गणित में बच्चे शैक्षणिक रूप से बेहद कमजोर हैं। इस प्रकार प्राथमिक एवं माध्यमिक सकूलों में पढ़ाई की स्तर बेहद कमजोर होता जा रहा है।

प्राचार्यों ने बताई समस्या तो आयुक्त ने दिए सुझाव
प्राचार्य – कुछ बच्चे हैं जो स्कूल नहीं आते। जिसकी वजह से वे पढ़ाई में कमजोर रह जाते हैंं। यदि वे नियमित स्कूल आएं तो उनका शैक्षणिक स्तर इतना ज्यादा कमजोर न हो।
आयुक्त – पढ़ाई एवं कक्षा के माहौल को रुचिकर नहीं बनाओगे तो बच्चे नहीं आएंगे। हो सकता है उन्हें क्लास रूप में कुछ समझ न आता हो। क्लास रूम को रुचिकर बनाना होगा।
प्राचार्य – सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्कूल में बच्चे नाम दर्ज करा लेते हैं, पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं देते। उनके माता – पिता उनसे घर पर काम करवाते हैं।
आयुक्त – आप लोग क्या स्कूल के बच्चों से बात करते हो? क्लास रूम में जाते हो। आप जब उससे बात करोगे। उन्हें समझाओगे, पढ़ाई के प्रति जिज्ञासा बढ़ाओंगे तो निश्चित रूप से स्कूल आएंगे।

राजनिवास में हुई अधिकारियों की बैठक
सुबह करीब ११ बजे चारों जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों के साथ आयुक्त ने बैठक कर योजनाओं की समीक्षा की। रीवा की साइकिल वितरण, प्रो फाइल अपडेशन में किए गए अच्छे कार्य को सराहा। वहीं सतना, सीधी एवं सिंगरौली को भी सुधार करने के निर्देश दिए। राजनिवास में दोपहर करीब एक बजे तक अधिकारियों के साथ बैठक चलती रही। उन्होंने सभी योजनाओं की प्रगति के बारे में एक – एक कर जानकारी ली। इसके बाद दोपहर करीब दो बजे से कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में प्राचार्यों से संवाद शुरू किया। पहले सीधी एवं सतना जिलों के प्राचार्यों के साथ संवाद हुआ। फिर रीवा एवं सिंगरौली जिले के प्राचार्यों से बात की।

तय समय के मुताबिक प्राचार्यों के साथ संवाद शुरू नहीं हो पाया। दोपहर 12 बजे का समय निर्धारित था लेकिन दो घंटे देरी से करीब दो बजे शुरू हो पाया। दोपहर 12 बजे से दो बजे के बीच प्राचार्यों को लंच कराया गया।

 

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