मनमानी का आलम यह रहा कि पिछले वर्ष की राशि का समायोजन नहीं हुआ और आगे भी एडवांस में राशि जारी करते रहे।
बड़ी राशि समायोजित नहीं होने के बाद अब संयुक्त संचालक कार्यालय में इस मामले को लेकर हडकंप मचा हुआ है। जिम्मेदार अधिकारी अपने – अपने बचाव में तर्क दे रहे हैं।
स्कूलों में प्रतिवर्ष खेल का आयोजन होता है। जिसमें शामिल होने वाले खिलाड़ियों के लिए भोजन, किराया एवं अन्य जरूरतों के लिए उनके टीम मैनेजर को राशि एडवांस के रूप में संयुक्त संचालक कार्यालय रीवा से आवंटित की जाती है।
ब्लॉक एवं जिले में प्रतिछात्र के लिए 90 रुपए, संभाग के लिए 100 रुपए , प्रदेश स्तर की प्रतियोगिता के लिए 150 रुपए प्रतिछात्र भोजन के लिए दिए जाते हैं। इसके अलावा किराया एवं अन्य खर्च के लिए राशि दी जाती है। यही राशि टीम मैनेजरों को एडवांस के रूप में दी गई है। टीम मैनेजरों ने न तो बिल प्रस्तुत किया है और नहीं राशि वापस की है।
कहा जा रहा है कि आवश्यकता से ज्यादा राशि टीम मैनेजरों को आवंटित की गई है।
अधिकारियों ने खींचा हाथ
खेल अधिकारियों ने तत्कालीन संयुक्त संचालक के समक्ष राशि समायोजित नहीं कराई। संयुक्त संचालक बदल गए पुराने बिल को लेकर किसी भी प्रकार से अपना हाथ डालन नहीं चाहते। यही वजह रही कि राशि का समायोजन नहीं हो पाया। न तो अतिरिक्त में दी गई राशि वापस ली जा सकी और न हीं टीम मैनेजरों ने खर्च की गई राशि का बिल प्रस्तुत किया।
समायोजन की चल रही प्रक्रिया
इस मामले को लेकर संभागीय खेल प्रभारी अधिकारी केके तिवारी ने सफाई दी की पिछले कुछ वर्षों के दौरान नियमित संयुक्त संचालक लोक शिक्षण की पदस्थापना नहीं होने की वजह से समायोजन नहीं हो पाया। कुछ दिनों पहले से समायोजन की कार्रवाई शुरू हुई है। प्रक्रिया में है कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। जबकि हकीकत यह नहीं है। इससे पहले भी नियमित संयुक्त संचालक पदस्थ रहे हैं।
क्रमांक दो में है पदस्थ, जेडी कार्यालय में अटैच
संभागीय प्रभारी खेल अधिकारी केके तिवारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक दो में पदस्थ हैं, लेकिन वे वहां न रहकर संभागीय कार्यालय में पिछले कई वर्षों से अटैच हैं। उनके पास संभागीय खेल अधिकारी का प्रभार है। इन्हें ही एडवांस राशि एवं उससे संबंधित बिल की जानकारी संयुक्त संचालक जेडी के यहां प्रस्तुत कर समायोजन कराना था लेकिन इन्होंने इस कार्य में लापरवाही की।