बैठक में जिपं सीइओ मयंक अग्रवाल ने सदस्यों को शासन की नई नीतियों की जानकारी दी। सीइओ ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के तहत बनाए जा रहे निर्माण की स्थित और नई व्यवस्था के तहत बताया कि आवास प्लस के छूटे गरीबों के नाम लिस्ट में जोड़े जा सकेंगे। सदस्य प्रमोद कुशवाहा ने कहा प्रधानमंत्री आवास के लिए गरीबों से सचिव और रोजगार सहायक पांच से लेकर दस हजार रुपए वसूल रहे हैं। सदस्य जोखू लाल कोल ने कोनी गांव का जिक्र करते हुए कहा तराई अंचल में पैसे की वसूली ज्यादा हो रही है। जवाब में सीइओ ने कहा जनता और सदस्य हमें बताएं संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस दौरान सीइओ ने बताया कि जिले में अलग-अलग चरणों में कुल ८० हजार गरीबों के आवास बनाए जाएंगे। प्रारंभ और दूसरे चरण में चालीस हजार गरीबों का आवास इस साल तक तैयार हो जाएंगे। बैठक के दौरान जिपं सदस्य लल्लू सिंह कुशवाहा, प्रीतम सिंह, बृजेश सिंह, अच्छेलाल साकेत, रामकली साकेत कोल, स्वाती सागर सहित अन्य सदस्य व विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
आदिम जाति कल्याण विभाग कार्यालय में एक शाखा में पांच साल से अधिक समय से काम कर रहे बाबुओं की शाखा बदले जाने का प्रस्ताव लाया है। जिपं उपाध्यक्ष विभा पटेल के प्रस्ताव पर अध्यक्ष जिप ने समर्थन किया।
शासन की नवीन निर्देश पर चर्चा, जिपं की स्थाई समितियों पर चर्चा एवं (शिक्षा, कृषि, उद्योग, संचार संकर्म, महिला बाल विकास, स्वास्थ्य, वन एवं सहकारिता), जिपं निधि एवं विकल्प से स्वीकृत निर्माण कार्यों की समीक्षा व नवीन कार्य एवं व्यय पर चर्चा।
आवास चुनावी फोल्डर, पंचों का भत्ता नहीं दे रही सरकार
अभय मिश्र ने कहा आवास का एप चुनावी है, वर्ष 2011 में मनमोहन सरकार में इंदिरा आवास के नाम से योजना चल रही थी। चुनावी लाभ लेने के लिए भाजपा ने फोल्डर का नाम बदलकर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास कर दिया। इस व्यवस्था में पंचायतों का अधिकार पूरी तरह छिन गया है। पंचायतों की बैठकों में पंच को भत्ता का नहीं दिया जा रहा है। भत्ता का 600 करोड़ रुपए सरकार ने अन्य मद में खर्च कर दिया है। अब सरकार के पास पैसे नहीं है पंचों को कहां से भत्ता दिया जाएगा।