परिवार के सदस्यों ने मुख्यमंत्री के सामने धीरेन्द्र की शहादत का बदला लेने की मांग उठाई। शहीद की मां ने मुख्यमंत्री से लिपटकर अपना दु:ख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि एक ही बेटा था, इस घटना से उनका सबकुछ लुट गया। इसलिए जिन्होंने बेटे को मारा है, उनसे सरकार बदला जरूर ले। आतंकवाद समाप्त होना चाहिए, ऐसा दु:ख अब किसी और परिवार के सामने नहीं आए। सीएम ने आश्वासन दिया कि सीमा पर जवान आतंकवाद का खात्मा करने के लिए लगे हुए हैं। उनका बेटा भी जांबाज सिपाही था।
सीएम ने कहा हम पर इस मां का कर्ज है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद धीरेन्द्र की मां को सांत्वना देते हुए एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। जिसमें लिखा कि ‘मेरे देशवासियों!
हम पर इस मां का कर्ज है। मैं इस तस्वीर को हमेशा साथ रखूंगा, क्योंकि ये मुझे याद दिलाएगी कि राष्ट्र सर्वोपरि है, राष्ट्र मुझसे कहीं ऊपर है और यह भावना मुझे जीवन का एक-एक पल राष्ट्र को समर्पित करने की प्रेरणा देती रहेगी। शहीद जवान धीरेंद्र त्रिपाठी अमर रहें।Ó
पडिय़ा गांव के निवासी धीरेन्द्र त्रिपाठी सीआरपीएफ के ११० बटालियन लेथपुरा में पदस्थ थे। जम्मू-कश्मीर के पंपोर क्षेत्र में आतंकवादियों ने इनकी टुकड़ी पर बीते पांच अक्टूबर की सायं हमला कर दिया था। जिसमें पांच जवानों को गंभीर चोटें आई थी। धीरेन्द्र त्रिपाठी और शैलेन्द्र सिंह नाम के दो जवान शहीद हो गए थे। तीन का अब भी उपचार किया जा रहा है।
सीआरपीएफ के 45 जवानों की टीम लेकर आई
शहीद का पार्थिव शरीर उनके गृहग्राम पडिय़ा सुबह के करीब साढ़े सात बजे पहुंच गया। सीआरपीएफ टीम का नेतृत्व कर रहे असिस्टेंट कमांडेंट अभ्युदय सिंह ने बताया कि एक दिन पहले ही लखनऊ से पार्थिव शरीर को लेकर सड़क मार्ग से शहीद के गृहग्राम के लिए रवाना हुए थे। 45 जवानों के साथ पूरे सम्मान के साथ परिजनों को पार्थिव शरीर सौंपा गया है।
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राजकीय सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए गांव में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किया। सीआरपीएफ की टीम ने सलामी शस्त्र और शोक शस्त्र के साथ हवा में फायर कर जांबाज शहीद को अंतिम विदाई दी।
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पिता भी सीआरपीएफ में दे रहे सेवा
शहीद धीरेन्द्र के पिता रामकलेश त्रिपाठी भी सीआरपीएफ में सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में बालाघाट में उनकी पदस्थापना है। घटना की सूचना मिलने पर पांच अक्टूबर को ही देर रात वह गांव पहुंच गए थे। धीरेन्द्र इकलौते बेटे थे, एक बहन भी है। शहीद की पत्नी साधना त्रिपाठी घर पर ही रहती हैं। इनका तीन वर्ष का बेटा कान्हा भी है।
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दस वर्ष पहले हुए थे भर्ती
सीआरपीएफ में धीरेन्द्र दस वर्ष पहले भर्ती हुए थे। उनके रिश्तेदार तमरा निवासी जमुना प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि 31 वर्षीय धीरेन्द्र दस साल पहले भर्ती हुए थे, आगामी 10 अक्टूबर से उनकी सेवा के दस वर्ष पूरे जाएंगे। बचपन से ही उनमें सेना में जाने की इच्छा थी। वह अक्सर कहा करते थे कि देश की सेवा के लिए सेना की वर्दी पहनना चाहते हैं। परिवार के लिए यह शहादत काफी दु:खदाई है।
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चचेरे भाई ने दी मुखाग्रि
शहीद धीरेन्द्र अपने पिता के इकलौते पुत्र थे। सामान्यतौर पर पिता अपने बेटे को मुखाग्रि नहीं देते। शहीद का बेटा भी अभी तीन वर्ष का है। इसलिए परिवार के लोगों ने तय किया कि धीरेन्द्र के चचेरे भाई शिवशंकर त्रिपाठी मुखाग्रि देंगे। इस घटना से शिवशंकर भी आहत हैं उनका कहना है कि कभी सोचा नहीं था कि इस तरह की क्रिया में वह शामिल होंगे। इस घटना ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है।
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