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नौका पर सवार होकर आएंगी मातारानी, जानिए साधकों के लिए कितना है मंगलकारी

locationरीवाPublished: Oct 09, 2018 10:55:45 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

इस वर्ष नवरात्र पूरे 9 दिन का होगा। द्वितीया तिथि में क्षय हो रहा है। पंचमी तिथि की वृद्धि हो रही है जिस कारण नवरात्र 9 दिनों का है।

shardiya navaratri 2018 kalash sthapana puja vidhi

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रीवा. शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नौ दिन तक लोग शक्ति की उपासना में लीन रहेंगे। नवरात्रि में दुर्गा माता की नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। शहर में कई जगह पंडाल लगाकर मां की प्रतिमा स्थापित की गई है। आश्विन मास की प्रतिपदा में कुंभ एवं देवी स्थापना के पश्चात जप, स्त्रोत रत्नावली, दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाएगा।

आश्विन माह की नवरात्रि देवी साधकों एवं उपासकों के लिए वरदान स्वरुप बनकर आ रही है। नवरात्र का प्रारंभ बुधवार के दिन होने से देवी पुराण की मान्यताओं के अनुसार माता रानी का आगमन नौका पर होगा, जो देश-समाज एवं साधकों के लिए मंगलकारी होगा। इस वर्ष देवी का गमन गज पर होगा जो शुभ फलदाई है। इसके अलावा नवरात्र पूरे 9 दिन तक व्याप्त रहेंगे जो शुभ माना गया है। नवरात्र में तिथि का क्षय होना अमंगलकारी होता है तथा तिथि की वृद्धि होना मंगलकारी माना गया है।

नवरात्र की तिथियां
इस वर्ष नवरात्र पूरे 9 दिन का होगा। द्वितीया तिथि में क्षय हो रहा है। पंचमी तिथि की वृद्धि हो रही है जिस कारण नवरात्र 9 दिनों का है।

10 अक्टूबर प्रतिपदा: बैठकी-घट/कलश स्थापना-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी पूजा
11 को द्वितीया : नवरात्रि दूसरा दिन तृतीया, चंद्रघंटा पूजा
12 को तृतीया : कुष्मांडा पूजा
13 को चतुर्थी : स्कंदमाता पूजा
14 को पंचमी : सरस्वती पूजा
15 को षष्ठी : कात्यायनी पूजा
16 को सप्तमी : कालरात्रि, सरस्वती पूजा
17 को अष्टमी : महागौरी, दुर्गा अष्टमी, नवमी पूजन
18 को नवमी : नवमी हवन, नवरात्रि पारण।

घट स्थापन के शुभ मुहूर्त
ज्योतिर्विद राजेश साहनी के मुताबिक, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 9 अक्टूबर को प्रात: 9.17 से शुरू है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, यदि प्रतिपदा एक मुहूर्त से कम हो तो ही अमावस्या युक्त प्रतिपदा में घट स्थापना की जानी चाहिए। 10 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि सुबह 7.26 बजे प्रात: तक है। 10 को प्रात: काल चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग भी है। ऐसी स्थिति में चित्र एवं वैधृति के आद्य चतुर्थांश को छोड़कर घट स्थापना की जा सकती है।

अपराह्न काल से पूर्व प्रात: काल घटस्थापना
प्रात: 6.03 बजे से 7.25 के मध्य- लाभ चौघडिय़ा में
प्रात: 7.25 बजे से 8.58 के मध्य- अमृत चौघडिय़ा में
प्रात: 10.25 बजे से 11.52 के मध्य -शुभ चौघडिय़ा में

ऐसे करें घट स्थापना
घट स्थापना करने के लिए चौड़ी सतह बनाकर उसमें सप्तधान्य या जौ बो दें। कलश के उदर में गंगाजल, फूल, गंध, सुपारी, अक्षत, पंचरत्न एवं सिक्के डालें। कलश मुख में आम के पांच पल्लव लगाने के साथ चुनरी या लाल वस्त्र में बांधकर नारियल को स्थापित करें। कलश में समस्त पवित्र नदियों, तीर्थों, समुद्रों, नवग्रहों, दिशाओं, नगर, ग्राम एवं कुल देवताओं के साथ समस्त योगिनियों को पूजा में आमंत्रित किया जाता है।

कलश पर स्वास्तिक अंकित करना चाहिए। देवी का आवाहन करते हुए उनका पूजन किया जाना चाहिए। धूप-दीप-नैवेद्य वस्त्र-अलंकार- आभूषण-श्रृंगार समर्पित करते हुए देवी को अपनी शक्तियों सहित पधारने का निमंत्रण देना चाहिए। शारदीय नवरात्र कुलधर्म कुलाचार एवं धर्म आचरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने गए हैं। इनमें देवी घटस्थापना, अखंड दीप प्रज्ज्वलन, हवन, सरस्वती पूजन तथा दशमी तिथि को विसर्जन किया जाता है।

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