दोपहर 2.30 बजे बैकुंठपुर निवासी गुर्दा रोग से पीडि़त मरीज घंटों कराहता रहा। मेडिसिन विभाग के वार्ड में उसे उपचार मयस्सर नहीं हुआ। साथ मौजूद महिला परिजन परेशान रही। नर्सिंग छात्राओं से विनती करती रही। तमाम कोशिशों के बावजूद उसे देखने कोई डॉक्टर नहीं आया। दरअसल, मेडिसिन वार्ड में इस दौरान कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। जूनियर डॉक्टर और नर्सों की हड़ताल में चलते चिकित्सक कक्ष और परिचायिका कक्ष खाली पड़े थे। सर्जरी, अस्थि विभाग के वार्डों में भी मरीजों को समुचित उपचार मुहैया नहीं हुआ। सर्जरी और अस्थि में घायलों की सुबह न तो ड्रेसिंग की गई और न ही पट्टी बदली गई। दरअसल, नर्सिंग कॉलेजों की स्टूडेंट़्स ड्यूटी पर लगाई जरूर गई हैं पर उन्हें मरीजों की न तो हिस्ट्री पता है और न ही मरीज को कब इंजेक्शन लगाने हैं। दवाएं देनी है। इसकी जानकारी है। जिससे परेशानी आ रही है। गांधी स्मारक चिकित्सालय में गायनी विभाग के लेबर रूम में डिलेवरी की संख्या घट गई। प्रसूति पूर्व वार्ड के ज्यादातर बेड खाली पड़े हैं। गर्भवती जो यहां भर्ती थी, हड़ताल के चलते निजी अस्पतालों में चली गई हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो गायनी विभाग ने 19 डिलेवरी हुई हैं। जो अन्य दिनों की अपेक्षा बेहद कम हैं। बच्चा वार्ड में भी बीमार बच्चों की संख्या घट गई है। कुपोषित इकाई में भी आधे बेड खाली हो गए हैं। इमरजेंसी विभाग में मरीजों को त्वरित उपचार देने के लिए डॉक्टर मौजूद नहीं रहे।
पीआइसीयू से गायब रहे सीनियर डॉक्टर
बच्चों की गहन चिकित्सा इकाई में गंभीर रूप से बीमार 20 से अधिक बच्चे भर्ती हैं। शिशु रोग विभाग में सीनियर डॉक्टर भी मौजूद हैं लेकिन ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति की गई। यहां पर प्रर्दशक ड़्यूटी दे रहे थे और विभाग के सीनियर डॉक्टर नदारद थे। जबकि इस इकाई में उनकी मौजूदगी अनिवार्य होनी चाहिए थी। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद इस यूनिट में भर्ती बच्चों की रेखदेख का जिम्मा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सीनियर डॉक्टरों को सौंपा था। पर आदेशों का पालन नहीं किया गया।
फैक्ट फाइल
-1423 मरीजों की ओपीडी।
-98 मरीजों की भर्ती हुई।
–63 डिजिटल एक्स-रे हुए।
–65 सामान्य एक्स-रे हुए।
-1332 विभिन्न जांचें हुईं ।
-08 मेजर आपरेशन हुए।
-07 माइनर आपरेशन हुए।
(बुधवार सुबह 8 बजे से सायं 5 बजे तक की स्थिति)