कृष्ण के अग्रज हैं बलराम
बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम का जन्मोत्सव शनिवार को मनाया गया। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान बलराम शेषनाग का अवतार थे। पुत्रवती महिलाओं इस दिन व्रत रखकर परंपरा के अनुसार पूजन-अनुष्ठान किया। प्रत्येक घरों के आंगन में महिलाओं ने हाथों से प्रतीकात्मक तालाब निर्मित कर कुश व ढाक की स्थापना करके परंपरागत पूजा-अर्चना की। दही से अभिषेक किया गया। बिना जोती गई भूमि में उपजे हुए अनाज से पकवान निर्मित किए गए। उन्हें प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर सामूहिक रूप से लोकगीत गाये। पूजा की समाप्ति पर सभी ने एक दूसरे को प्रसाद दिया। इस अवसर पर सेक्टर पर्यवेक्षक डेल्ही केंद्र की कार्यकर्ता शुशीला पांडेय, नीलम श्रीवास्तव, माया मिश्रा आदि महिलाएं मौजूद रहीं।
बैंड-बाजे की धुन पर लोग थिरके
नगर में पुत्र की कुशलता के लिए के लिए सनातनकाल से हलषष्टी पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है। जिसे इस वर्ष भी पूर्ण परंपरागत ढंग से हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर हलषष्टी माता का पूजन किया। इस दौरान बैंड बाजे की धुन पर जगह-जगह लोग नाचते थिरकते देखे गए। सीधी रोड पुलिया मोहल्ला में मुन्नालाल गुप्ता भी माताओं के बीच जाकर हलषष्ठी माता का पूजन करने से नहीं चूके। पूरे नगर में तकरीबन आधा सैकड़ा स्थानों पर हलषष्ठी माता के पूजन का आयोजन किया गया। इधर क्षेत्र के मिसिरगवां, नाउनकला व नाउन खुर्द, अल्हवा, मझिगवां, बन्ना, पांती, तिलया, हाटा, लोढ़ी, ढाबा, चरैय्या, शाहपुर आदि गांव में भी हलषष्ठी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम का जन्मोत्सव शनिवार को मनाया गया। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान बलराम शेषनाग का अवतार थे। पुत्रवती महिलाओं इस दिन व्रत रखकर परंपरा के अनुसार पूजन-अनुष्ठान किया। प्रत्येक घरों के आंगन में महिलाओं ने हाथों से प्रतीकात्मक तालाब निर्मित कर कुश व ढाक की स्थापना करके परंपरागत पूजा-अर्चना की। दही से अभिषेक किया गया। बिना जोती गई भूमि में उपजे हुए अनाज से पकवान निर्मित किए गए। उन्हें प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर सामूहिक रूप से लोकगीत गाये। पूजा की समाप्ति पर सभी ने एक दूसरे को प्रसाद दिया। इस अवसर पर सेक्टर पर्यवेक्षक डेल्ही केंद्र की कार्यकर्ता शुशीला पांडेय, नीलम श्रीवास्तव, माया मिश्रा आदि महिलाएं मौजूद रहीं।
बैंड-बाजे की धुन पर लोग थिरके
नगर में पुत्र की कुशलता के लिए के लिए सनातनकाल से हलषष्टी पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है। जिसे इस वर्ष भी पूर्ण परंपरागत ढंग से हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर हलषष्टी माता का पूजन किया। इस दौरान बैंड बाजे की धुन पर जगह-जगह लोग नाचते थिरकते देखे गए। सीधी रोड पुलिया मोहल्ला में मुन्नालाल गुप्ता भी माताओं के बीच जाकर हलषष्ठी माता का पूजन करने से नहीं चूके। पूरे नगर में तकरीबन आधा सैकड़ा स्थानों पर हलषष्ठी माता के पूजन का आयोजन किया गया। इधर क्षेत्र के मिसिरगवां, नाउनकला व नाउन खुर्द, अल्हवा, मझिगवां, बन्ना, पांती, तिलया, हाटा, लोढ़ी, ढाबा, चरैय्या, शाहपुर आदि गांव में भी हलषष्ठी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।