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विकास शुल्क लेकर भूमि स्वामियों को लीज पर दी जा सकती है भूमि
सुधार न्यास बोर्ड से जुड़े जानकारों का कहना है कि डि-नोटिफिकेशन की प्रक्रिया में कई विधिक अड़चनें आएंगी। जिससे मामला फिर फंस सकता है। इसलिए अधिग्रहित की गई भूमि को संबंधित भूमि स्वामियों को लीज पर दी जा सकती है। इसके लिए शासन द्वारा निर्धारित विकास शुल्क जमा कराना होगा। यहां पर पूर्व में कलेक्टर ने ९९ रजिस्ट्रियां रद्द कर दी थी। जिसके बाद स्टांप पेपर पर अनुबंध करके बिक्री की गई।
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फैक्ट फाइल–
– 6 मार्च 1992 को 91.375 एकड़ भूमि स्कीम छह के लिए अधिग्रहित।
– बरा-समान की 33.03 एकड़ भूमि का हो चुका है नामांतरण।
– शासकीय भूमि 28.80 एकड़ में 11.68 एकड़ निगम के नाम।
– 17.52 एकड़ मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य विभागों के नाम अब भी दर्ज।
– निजी भूमि 62.57 एकड़ में 21.35 एकड़ निगम के नाम हो पाई दर्ज।
– अधिग्रहित 6.78 एकड़ भूमि का मुआवजा भूमि स्वामियों को वितरित।
– 10.46 एकड़ भूमि के लिए विकास शुल्क लेकर समझौता भी किया गया।
– कलेक्टर ने 99 रजिस्ट्री कर दी थी निरस्त।
– वर्ष 2019 में 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर निगम प्रशासन ने सीमांकन की मांगी थी अनुमति।