– 10 बजे सीएम शिवराज पहुंचे रीवा
– 10.30 बजे सीएम सतना के लिए रवाना
– 11 बजे तक अमहिया आवास में चली श्रद्धांजलि सभा
– विधायक जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी भी अंतिम यात्रा में हुए शामिल।
– 11.30 भारी भीड़ के साथ दादा का शव रीवा से तिवनी गांव के लिए रवाना।
– 12 बजे सीएम भोपाल के लिए हुए रवाना
– 12.20 में अंतिम यात्रा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव हुए शामिल।
– 12.30 बजे रहतरा हाइवे के किनारे समर्थकों की रही भारी भीड़।
– अमिरती गॉव में शव यात्रा का हुआ स्वागत
– श्रीयूत के लिए बनाई गई चिता।
– 2 बजे कांग्रेस कार्यालय मनगवां में पहुंची शव यात्रा
– 2.30 बजे मनगवां से निकलकर तिवनी पहुंची अंतिम यात्रा।
– 3 बजे दादा की अंतिम यात्रा गृह ग्राम तिवनी पहुंच गई है। यात्रा के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधायक जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी सहित अन्य दिग्गज नेता शामिल हैं।
– 3.30 बजे तक दादा के घर पहुंचा पार्थिव शरीर
– ग्रामीणों द्वारा दी जारही श्रद्धांजली
पहुंचे थे।
विंध्य के दिग्गज नेता रहे तिवारी का सात दशक तक का सियासी सफर चर्चित रहा। तिवारी सन् 1952 में प्रदेश के सबसे कम उम्र के विधायक चुने गए थे। इसके बाद से मध्यप्रदेश सरकार में कई विभागों के मंत्री रहने के साथ ही 1990 में डिप्टी स्पीकर बने। 1993 से २2003 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। पुत्र सुंदरलाल तिवारी गुढ़ से कांग्रेस के विधायक हैं।
तिवारी के निधन की खबर मिलते ही पूरा विंध्य क्षेत्र में मातम पसरा हुआ है। उनके रीवा स्थित घर सहित सतना हवाई पट्टी पर लाखों कार्यकर्ता पहुंच चुके है। इसमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, सागर सहित कटनी, जबलुपर के समर्थकों को तांता लगा हुआ है। प्रशासन ने सुरक्षा-व्यवस्था के तगड़े इंतजाम किए हुए है।
– चुनाव नहीं लडऩे की उम्र में चुनाव लड़े और जीता, मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां कुंडली लगाकर उम्र साबित की।
– पहले चुनाव में विंध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह से लड़े, वह जीतते तो सीएम होते। उन्हीं से राजनीतिक सीख चुनाव के समय भी लेते रहे।
– स्वास्थ्य मंत्री रहते शिक्षा विभाग की फाइल में हस्ताक्षर कर दिया। सवाल उठा तो बोले कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है, किसी एक विभाग की नहीं।
– मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि वह भी मंत्री की तरह विधायक हैं, सब कुछ नहीं हो सकते।
– विधानसभा अध्यक्ष रहते कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी भी रहे, कहा कि पार्टी की वजह से विधायक बना और विधानसभा अध्यक्ष। ऐसा करने वाले इकलौता विधानसभा अध्यक्ष रहे।
– देश में पहली बार विधानसभा के भीतर मुख्यमंत्री प्रहर कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें सीएम को अनिवार्यरूप से जवाब देना होता था।
– दस वर्ष के विधानसभा अध्यक्ष कार्यकाल में विधायक डॉ. सुनीलम के अलावा किसी पर मार्शल का उपयोग नहीं किया।
– विंध्य प्रदेश की जनता का मौलिक अधिकार है कि वह अपने भाग्य का निर्णय कर सकें।
– अर्जुन सिंह से मतभेद था, मनभेद नहीं।
– जवानी उम्र से नहीं भावनाओं से आंकी जाती है।
– हमारी सहमति से प्रत्याशी चयन नहीं तो उसके लिए वोट नहीं मांग सकता।
– राजीव गांधी की सिरमौर चौराहे की प्रतिमा को तोड़ा तो अपने दीनदयाल को नहीं बचा पाएगी भाजपा।
– हां प्रदेश में कांग्रेस की समानांतर अमहिया सरकार है और मैं उसका सीएम हूं।
– तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा सरकार से मिली भगत से काम कर रहे कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष।
श्रीनिवास बीते कुछ वर्षों से अस्वस्थता के चलते सियासत में हासिए पर जरूर थे, पर उनकी मौजूदगी ही प्रदेशभर में समर्थकों की ऊर्जा थी। सच कहा जाए तो, प्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष की भूमिका, सदन और सरकार पर नियंत्रण का पाठ उन्होंने ही पढ़ाया। दबंग आवाज के धनी ‘दादा’ की यादें सदन से लेकर रीवा शहर तक अविस्मृत होंगी। आएये हम आपको बताते हैं कि उन्होंने एक जनवरी 2018 को आखिरी प्रेस कांफ्रेंस में विंध्य के लोगों को क्या संदेश दिया था।
– जन्म-17 सितंबर 1926
– जन्म स्थान- ग्राम शाहपुर ननिहाल
– गृहग्राम- तिवनी
– माता- कौशल्या देवी
– पिता- पं. मंगलदीन तिवारी
– प्रारंभिक शिक्षा- तिवनी, मनगवां एवं मार्तंड स्कूल रीवा
– उच्च शिक्षा- एमए, एलएलबी, टीआरएस कालेज रीवा
– राजनीति में प्रवेश: छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी, सामंतवाद के विरोध मेंं कार्य
– विधायक : 1952, 1957, 1972 से 1985, 1990 से 2003 तक लगातार
– प्रदेश सरकार में मंत्री : 1980
– विस उपाध्यक्ष: 23-3-90 से 15-12-92
– अध्यक्ष विधानसभा: 1993 से 2003 तक
– उपलब्धियां : राजनीति, समाजसेवा, प्रशासन एवं साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य